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इंसानियत के लिए योगी ने भुला दी थी खुद की तकलीफ

देहरादून। यह वर्ष 1993 का कोटद्वार से जुड़ा वाक्या है। कोटद्वार की हिंदू पंचायती धर्मशाला में विद्यार्थी परिषद का शिविर चल रहा था। यह शिविर का आखिरी दिन था। सब कुछ अच्छे से निबट ही गया था कि शिविर में शामिल होने वाले छात्र एक-एक करके बीमार पड़ने लगे। फूड प्वाइजनिंग की शिकायत ने शिविर में अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया। एक छात्र की मौत हो गई। यह छात्र पौड़ी जिले के घेरवा गांव से पढ़ाई के लिए कोटद्वार आया था।

मातमी माहौल के बीच, अब सबसे बड़ा सवाल था कि जल्द से जल्द उस छात्र के शव को उसके गांव ले जाकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाए। शिविर में शामिल ज्यादातर लोग सहमे हुए थे। इस स्थिति में एक छात्र आगे आकर इस काम को करने का बीड़ा उठाता है। यह छात्र और कोई नहीं योगी आदित्यनाथ (Yogi) थे। हालांकि उनकी खुद की तबीयत खराब होने का इशारा कर रही थी, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। फिर उस छात्र के शव को लेकर योगी उसके गांव पहुंचे। शव को घरवालों को सौंपा। कोटद्वार लौटे तो खुद बीमार होकर हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा।

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योगी आदित्यनाथ (Yogi) एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें अपने सबसे भरोसेमंद नेता के तौर पर चुना है। जो लोग योगी आदित्यनाथ को उनके छात्र जीवन से जानते हैं, उनका यही कहना है-योगी जी खुद को तकलीफ में डालकर दूसरे के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं। राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार में योगी आदित्यनाथ ने बीएससी की पढ़ाई की है। तब उन्हें अजय बिष्ट के नाम से पहचाना जाता था। अनिल बिष्ट उनके कॉलेज के दिनों के साथी रहे हैं।

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उनका योगी आदित्यनाथ के साथ रोज का साथ रहा है। बेदीखाल इंटर कॉलेज में भौतिक के प्रवक्ता अनिल बिष्ट को योगी आदित्यनाथ के साथ की कई बातें याद हैं। वह बेहद खुश हैं कि उनका मित्र एक बार फिर यूपी की बागडोर संभाल रहा है। बकौल, अनिल बिष्ट-योगी शुरू से लोगों के मददगार रहे हैं। दूसरों को खुशी देकर उन्हें बेहद तसल्ली मिलती है। वह अपने साथियों की मदद के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

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बिष्ट को एक घटना याद आती है। वह बताते हैं- श्री रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान कोटद्वार के रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने एक कार्यकर्ता को जब डंडों से पीटना चाहा था, तो योगी उनसे अकेले ही भिड़ गए थे और पुलिसवाले का डंडा छीन लिया था।

योगी के मित्र अनिल बिष्ट एक और घटना का जिक्र करते हैं। वह बताते हैं कि योगी विकासनगर इलाके में किराये के कमरे में रहते थे। एक बार योगी के कमरे में चोरी हो गई। चोर सारा सामान लेकर चले गए। यहां तक की उनके शैक्षणिक कागजात भी नहीं छोडे़। योगी को सामान चोरी होने से भी ज्यादा दुख शैक्षणिक कागजात के चले जाने का था। सभी दोस्तों के साथ मिलकर मुहल्ले के सभी कूडे़दानों में भी कागजात तलाशे गए, लेकिन यह नहीं मिल पाए।

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