नई दिल्ली| कोविड 19 से उपजी स्थिति को देखते हुए डीयू इस बार एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज (ईसीए) के लिए ट्रायल नहीं लेगा। यह दाखिला केवल प्रमाणपत्र के आधार पर होगा। इसलिए प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता इस बार महत्वपूर्ण होने वाली है।
डीयू में सामान्य दाखिला के साथ ईसीए के दाखिला के लिए भी प्रमाणपत्रों की फॉरेंसिक जांच महत्वपूर्ण है। लेकिन यह जांच क्या सभी कॉलेज करा पाएंगे इसे लेकर कॉलेजों में एकमत नहीं है।
हालांकि, किसी कॉलेज ने आधिकारिक तौर पर मना नहीं किया है लेकिन अपनी परेशानियां भी गिनाई हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यह मुद्दा डीयू की दाखिला समिति और कॉलेजों में दाखिला करने वाली समिति के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बैठक में भी उठ सकता है।
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डीयू के कई कॉलेज ने पिछले वर्ष भी फॉरेंसिक एक्सपर्ट अपने यहां प्रमाणपत्रों की जांच के लिए रखे थे। लेकिन कई कॉलेजों के पास संसाधन की कमी है। एक कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया कि प्रमाणपत्रों की जांच के दो प्रमुख बिंदु हैं। कई निजी एजेंसियां भी फॉरेंसिक एक्सपर्ट उपलब्ध कराती हैं। लेकिन उनका खर्च अधिक है। जिसे कॉलेज को वहन करना पड़ता है।
इसके अलावा जो प्रमाणपत्र बोर्ड के होते हैं उन पर लोगो या डिजिटल मार्किंग होती है। इसके अलावा भी कई चिह्न होते हैं लेकिन ईसीए के जो प्रमाणपत्र होते हैं उनमें यह मार्किंग बहुत कम होती है। ऐसे में यह कितने सही हैं इसके लिए फॉरेसिंक एक्सपर्ट के लिए भी इसकी प्रामाणिकता मुश्किल होगी। इसके लिए हमें संबंधित संस्थान से उस सर्टिफिकेट की जानकारी लेनी होगी।
डीयू में ईसीए के लिए तो आवेदन लिए गए हैं लेकिन इसका दाखिला कब से शुरू होगा यह निश्चित नहीं है। डीयू में ईसीए दाखिला का ट्रायल वह अन्य प्रबंधन देख रही ईसीए दाखिला समिति की सदस्य का कहना है कि इसकी तिथि अभी तय नहीं है।