पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक चर्चा बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को लेकर हो रही है। चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लेने वाले गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं मिल पाया है, जिसे लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। इस बीच गुप्तेश्वर पांडेय ने खुद बताया है कि वह चुनाव लड़ने वाले थे, मगर राजनीति में कुछ मजबूरियां होती हैं। इन्हीं वजहों से उन्हें टिकट नहीं मिल पाया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब भी एनडीए के साथ ही हैं।
मेरे VRS लेने और पार्टी की सदस्यता लेने को सीधे चुनाव से जोड़कर देखना ठीक नहीं है। चुनाव लड़ने की संभावना थी, किसी कारणवश ये समीकरण नहीं बैठा। राजनीति में बहुत सारी मजबूरियां होती हैं लेकिन मैं एनडीए के साथ हूं और एनडीए के साथ रहूंगा: बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय pic.twitter.com/Shj4jtJyr8
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 8, 2020
टिकट नहीं मिलने के बाद समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मेरे वीआरएस लेने और पार्टी की सदस्यता लेने को सीधे चुनाव से जोड़कर देखना ठीक नहीं है। चुनाव लड़ने की संभावना थी, किसी कारणवश ये समीकरण नहीं बैठा। राजनीति में बहुत सारी मजबूरियां होती हैं लेकिन मैं एनडीए के साथ हूं और एनडीए के साथ रहूंगा।
बुधवार को जदयू ने 115 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें गुप्तेश्वर पांडेय का नाम नहीं था। जदयू ने अपने हिस्से में आईं 122 सीटों में से सात सीटें अपने सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर को दी हैं। गुप्तेश्वर पांडेय को लेकर ऐसी संभावना थी कि उन्हें नीतीश कुमार की जदयू बक्सर सीट से अपना उम्मीदवार बना सकती है, मगर यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई। बक्सर सीट से बीजेपी ने परशुराम चतुर्वेदी को मैदान में उतारा है।
जदयू की कैंडिडेट लिस्ट में नाम न होने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने सबसे पहले बुधवार को अपने फेसबुक पर लिखा था, ‘अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं। मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश या निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया, धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करे। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है। अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहां के सभी जाति मजहब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छू कर प्रणाम। अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें।’