बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रो. अरुण कुमार का कल देर रात निधन हो गया। वह लगभग 90 वर्ष के थे।
विधान परिषद के जनसंपर्क अधिकारी अजीत रंजन ने गुरुवार को यहां बताया कि वयोवृद्ध पूर्व सभापति प्रो. अरुण कुमार पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज भी चल रहा था। बुधवार देर रात राजधानी पटना के पटेल नगर स्थित आवास पर उनका निधन हो गया। उनके तीन संतान हैं।
उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश भारत में बिहार के रोहतास जिले के मछनहट्टा (दुर्गावती) में 02 जनवरी 1931 को जन्में श्री अरुण कुमार ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा हासिल की। वह 05 जुलाई 1984 से 03 अक्टूबर 1986 तक विधान परिषद के सभापति और 16 अप्रैल 2006 से 04 अगस्त 2009 तक परिषद के कार्यकारी सभापति रहे।
प्रो. कुमार विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की स्थापना के जरिए समाज के बौद्धिक विकास एवं सामूहिक चेतना की जागृति के लिए सदैव प्रयासरत रहे। वह मानव भारती के महामंत्री भी रहे। साथ ही उन्होंने मानव भारती प्रभृति साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं के संस्थापक अध्यक्ष और मंत्री पद का दायित्व भी निभाया।
श्री कुमार को उत्कृष्ट संसदीय कार्यों के लिए वर्ष 1996 में राजीव रंजन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ उनकी साहित्य में भी गहरी रुचि थी। निराला पुष्पहार तथा कई पत्र-पत्रिकाओं में उनकी अनेक रचनाएं प्रकाशित हुई। उन्हें वृंदावन लाल वर्मा के उपन्यास पर शोध-कार्य संपन्न करने का गौरव भी प्राप्त है। इसके अलावा वह साहित्य एवं ललित कला संबंधी गोष्ठियों का आयोजन भी करते रहे।