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पूर्व मुख्य सचिव शंभुनाथ का निधन, ‘मृत्यु’ पर बोलते-बोलते चले गए स्वर्गलोक

Former Chief Secretary Shambhu Nath passed away

Former Chief Secretary Shambhu Nath passed away

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और यूपी हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. शंभूनाथ (Shambhu Nath) का शनिवार शाम अचानक निधन हो गया। वह लखनऊ में एक बुक रिलीज सेरेमनी में मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर बोल रहे थे। तभी अचानक से बोलते-बोलते उनकी सांसे थम गईं।

साहित्यकार डॉ. शंभूनाथ (Shambhu Nath) की मौत ने हिंदी साहित्य जगत को गहरा शोक पहुंचाया है। घटना शनिवार शाम करीब 6:30 बजे की है। लखनऊ के हिंदी संस्थान में कर्ण पर आधारित एक बुक लॉन्च सेरेमनी में डॉ. शंभूनाथ मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। कार्यक्रम में वह मंच पर बैठकर कर्ण और मृत्यु के टॉपिक पर बात कर रहे थे। तभी अचानक उनका सिर मेज पर टिक गया। वहां मौजूद लोगों ने उन्हें पानी पिलाने की कोशिश की, लेकिन उनकी जीभ बाहर निकली हुई थी।

मृत्यु पर बोलते-बोलते हो गई मौत

इसके बाद मौके पर मौजूद एक डॉक्टर ने उन्हें सीपीआर दिया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। आनन-फानन में उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कार्यक्रम के संचालक और मशहूर कवि सर्वेश अस्थाना ने बताया, “शंभूनाथ जी मृत्यु पर बोल रहे थे और उसी विषय पर बोलते-बोलते उनकी मौत हो गई। यह हिंदी साहित्य जगत के लिए एक दुखद पल है।

बिहार के रहने वाले थे डॉ. शंभूनाथ (Shambhu Nath) 

डॉ. शंभूनाथ मूल रूप से बिहार के निवासी थे, लेकिन यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं। बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पहले कार्यकाल में वह प्रदेश के मुख्य सचिव रहे। इसके साथ ही उन्होंने कई जिलों में जिलाधिकारी, सचिव और प्रमुख सचिव के रूप में भी कार्य किया। अपनी प्रशासनिक कुशलता के साथ-साथ वह हिंदी साहित्य में भी गहरी रुचि रखते थे।

प्रशासनिक और साहित्यिक क्षेत्र में योगदान

यूपी हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी डॉ. शंभूनाथ (Shambhu Nath) ने साहित्यिक जगत में अहम योगदान दिया। लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाले डॉ. शंभूनाथ साहित्यिक आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे। डॉ. शंभूनाथ का निधन हिंदी साहित्य और प्रशासनिक जगत के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी पूर्ति आसान नहीं होगी। उनके विचार, उनकी साहित्यिक संवेदनशीलता और प्रशासनिक अनुभव ने समाज के कई क्षेत्रों में गहरी छाप छोड़ी। इस दुखद घटना ने साहित्यिक समुदाय को गहरे शोक में डुबो दिया है।

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