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पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और उनके बेटे को तेरहवीं में शामिल होने की अनुमति नहीं

Gayatri Prajapati and his son

Gayatri Prajapati and his son

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके बेटे अनिल कुमार प्रजापति को परिजन के तेरहवीं संस्कार में शामिल होने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया।

गैंगरेप और फर्जीवाड़ा आदि के केसों में आरोपी गायत्री ने अपने भतीजे शुभम के 24 व 25 फरवरी को होने वाले अन्तिम संस्कारों में शामिल होने के लिए अमेठी के परसावा गांव में ले जाने के निर्देश पक्षकारों को देने की गुजारिश की थी।

न्यायाधीश आलोक सिंह और न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश गायत्री की याचिका पर दिया। याची का कहना था कि उसके भतीजे शुभम (22) की पिछली 12 फरवरी को संदिग्ध हालात में मृत्यु हो गई थी जिसका दसवाँ 24 फरवरी को और तेरहवीं 25 को होनी है।

राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची की पहले हाईकोर्ट से अल्प अवधि जमानत (पेरोल) मंजूर हुई थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। शाही ने दलील दी कि याची की जमानत अर्जी अभी लंबित है और वह न्यायिक आदेश से हिरासत में है। ऐसे में याची की, परमादेश जारी करने के आग्रह वाली यह याचिका खारिज करने लायक है।

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कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी।

उधर, सोमवार को ही न्यायामूर्ति मोहम्मद फैज आलम खाँ की एकल पीठ ने फर्जीवाड़ा के आरोपों वाले केस में जेल में बंद अनिल प्रजापति ( गायत्री के बेटे) की पेरोल अर्जी को वापस लिए जाने पर खारिज कर दिया। इसमें भी अनिल ने अपने चचेरे भाई शुभम के उक्त अन्तिम संस्कारों में शामिल होने की अनुमति देने का आग्रह किया था।

अपर शासकीय अधिवक्ता आलोक सरन ने पेरोल अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि अर्जीदाता पेरोल पाने लायक नहीं है। इसपर अर्जीदाता के वकील ने अर्जी वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया और इसके तहत अर्जी खारिज कर दी।

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