Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा, नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

Dhananjay Singh

Dhananjay Singh

जौनपुर। उत्तर प्रदेश में जौनपुर की एक विशेष अदालत ने बुधवार को पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को 04 साल पुराने अपहरण के एक मामले में सात साल की सजा सुनायी है।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एमएलए- एमपी कोर्ट चतुर्थ शरद कुमार त्रिपाठी ने नमामि गंगे योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण मामले में जौनपुर के पूर्व सांसद और उनके एक सहयोगी को मंगलवार को दोषी करार दिया था और इसी मामले में आज सात साल कारावास और 50 हजार के जुर्माने की सजा सुनायी।

जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी लाल बहादुर पाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जौनपुर नगर में नमामि गंगे योजना में काम कर रहे मुजफ्फरनगर निवासी प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को जिले के लाइन बाजार थाने में धारा 364, 386, 504, 506 और 120 बी भारतीय दंड विधान के तहत पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी संतोष विक्रम सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मामले में पुलिस द्वारा आरोप पत्र न्यायालय भेजने के बाद मुकदमा एमपी एमएलए कोर्ट में चल रहा था, इस मुकदमें गवाह पक्ष द्रोही हो चुके थे। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले का अभियुक्त पूर्व सांसद है। उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसका क्षेत्र में काफी नाम है, जबकि वादी मात्र सामान्य नौकर है। ऐसी स्थिति में वादी का डरकर अपने बयान से मुकर जाना अभियुक्त को कोई लाभ नहीं देता है, जबकि मामले में अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद हों।

अदालत ने कहा कि इस मामले में वादी प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी था और सत्यप्रकाश यादव उत्तर प्रदेश जल निगम के जेई थे। ऐसे व्यक्तियों को काम के दौरान फोन करके अपने घर बुला लेना या किसी को भेजकर मंगवा लेना अपने आप में अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आता है। मामले में अभियुक्त यह नहीं साबित कर सके कि उनके पास वादी और जल निगम के जेई को घर बुलाने का कोई हक या अधिकार मौजूद था। इनके भय और दबाव दबाव में बयान बदले गए हैं।

अदालत ने कहा कि इस मामले में वादी को यदि अभियुक्तों से कोई डर, भय, परेशानी नहीं थी या फिर किसी तरह का कोई विवाद नहीं था तो क्यों उसके द्वारा घटना के तुरंत बाद अपने उच्चाधिकारियों को फोन किया गया। एसपी से मुलाकात की गई और थाने जाकर तहरीर दी गई। मामला पूर्ण रूप से अभियुक्तों के विरुद्ध साबित है।

लोक सभा चुनाव से पहले धनंजय सिंह को तगड़ा झटका, अपहरण केस में दोषी करार

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन मौखिक, दस्तावेजी व परिस्थितिजन्य साक्ष्य से संदेह से परे यह साबित कर सका है कि 10 मई 2020 को शाम 5.30 बजे घटनास्थल पचहटिया पर अभियुक्तगण ने सामान्य आशय में आपराधिक षडयंत्र रचकर वादी मुकदमा अभिनव सिंघल की हत्या करने के आशय से अपहरण किया। इसके बाद उसे गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी। ऐसे में धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह अपराध के लिए दोष सिद्ध किए जाने योग्य हैं।

मुकदमे में आज फैसले के लिए तारीख थी, अदालत ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को भारतीय दंड विधान की धारा 364 में 07 वर्ष 50 हजार जुर्माना, 386 में 05 वर्ष की सजा 25 हजार जुर्माना , 504 में 01 वर्ष की सजा और 10 हजार जुर्माना, 506 में 02 वर्ष की सजा और 15 हजार जुर्माना और 120 बी में 07 साल की सजा और 50 हजार जुर्माना से दंडित करने का आदेश दिया है। सजा सुनाने से पूर्व अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा के बीच जिला कारागार से सिविल कोर्ट परिसर पूर्व सांसद धनंजय सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया । पुलिस विभाग का ड्रोन कैमरा ऊपर निगरानी कर रहा था, न्यायालय परिसर पुलिस छावनी में तब्दील रहा। सजा सुनाने के पश्चात उनके समर्थकों में मायूसी छा गई कि अब पूर्व सांसद चुनाव कैसे लड़ेंगे ?

Exit mobile version