एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की 9 जून तक गिरफ्तारी नहीं होगी। यह आश्वासन मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बॉम्बे होईकोर्ट को दिया है।
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनआर बोरकर की बेंच एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज इस पांच साल पुराने मामले को रद्द करने की मांग को लेकर परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही है। राज्य सरकार के वकील डी. खंबाटा ने हाईकोर्ट को बताया कि परमबीर सिंह ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है। इस याचिका में परमबीर सिंह ने उनकी बात हाईकोर्ट द्वारा जल्द न सुने जाने, मामले को महाराष्ट्र से बाहर स्थानांतरित करने और इसकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है।
खंबाटा ने कहा कि किसी भी एक मामले के लिए दो कोर्ट में एक साथ गुहार कैसे लगाई जा सकती है। अगर परमबीर सिंह जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हों तो पुलिस उन्हें 9 जून तक गिरफ्तार नहीं करेगी। परमबीर सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उठाए गए बिंदुओं के लिए माफी मांगी और कहा कि परमबीर सिंह सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ले लेंगे।
परमबीर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करवाने वाले पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे के वकील सतीश तलेकर ने कहा कि यह मामला 2016 का है। इस मामले में परमबीर सिंह की अगले दो सप्ताह तक यदि गिरफ्तारी नहीं हुई तो इससे कोई नुकसान नहीं होने वाला है। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 9 जून तक के लिए स्थगित कर दी है।
अकोला के पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे ने अपनी शिकायत में सिंह और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। ये सभी आरोप उस वक्त के हैं जब परमबीर सिंह ठाणे में पदस्थ थे। उस वक्त घाडगे ठाणे पुलिस कमिश्नरी में तैनात थे। अकोला की शहर कोतवाली में दर्ज जीरो एफआईआर को ठाणे ट्रांसफर कर दिया गया।