उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की एक विशेष अदालत ने दलित समुदाय की 17 साल की एक लड़की के साथ दुष्कर्म करने और उसका गर्भपात कराने के मामले में दोषी पाए जाने के बाद पूर्व प्रधान के बेटे को बृहस्पतिवार को सात साल के कैद की सजा सुनाई और 11 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
अभियोजन अधिकारी चंद्रिका प्रसाद ने शुक्रवार को बताया जिले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति समुदाय के एक व्यक्ति ने 30 जून 2007 को पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 10 फरवरी 2007 वह पत्नी के साथ मजदूरी करने गया था और घर में उसकी 17 साल की बेटी अकेली थी। तभी उसे अकेला पाकर पूर्व प्रधान बासदेव का बेटा रामशरण निषाद तमंचा लेकर घर पहुंचा और जान से धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म किया था।
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उसने कहा था कि डर की वजह से बेटी ने तब घटना किसी से नहीं बताई थी, जिसके बाद रामशरण कई बार-बार संबंध बनाता रहा, जिससे उसकी बेटी गर्भवती हो गयी थी।
एसपीओ प्रसाद ने बताया कि जब लड़की के पिता ने बेटी के गर्भवती होने का उलहना प्रधान को दिया तो उसने 19 जून 2007 को उसकी बेटी को जबरन बांदा ले जाकर उसका गर्भपात करा दिया था। अभियोजन अधिकारी चंद्रिका प्रसाद ने बताया कि दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एससीएसटी) के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ला ने अभियुक्त रामशरण निषाद को किशोरी के साथ दुष्कर्म करने का दोषी करार देते हुए सात वर्ष कैद की सजा सुनाई और उस पर 11 हजार रुपये जुर्माना लगाया।
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प्रसाद ने बताया कि जबकि किशोरी का गर्भपात कराने के मामले में निषाद के पिता वासुदेव (पूर्व प्रधान) भादंवि की धारा-437 ए के तहत 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।