राम मंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई का कार्य प्रारंभ हो चुका है। यह कार्य बीते 15 जनवरी से राम जन्मभूमि परिसर में चल रहा है। राम मंदिर को दीर्घायु कैसे बनाया जाए, मंदिर 1000 वर्षों तक कैसे सुरक्षित रहे, इस पर कार्यदायी संस्था एलएनटी और टाटा कंसल्टेंसी व आईटी सेक्टर के तमाम इंजीनियर लगे हुए हैं।
जमीन के नीचे खंभों की पाइलिंग कर उस पर मंदिर निर्माण करने की तकनीक फेल हो गई है। जिसके बाद अब मंदिर निर्माण हार्ड स्टोन से होगा। इसके लिए नींव के अंदर पुरानी पद्धति से लगभग 50 फुट गहरे गड्ढे खोदे जाएंगे जिनमें नींव के लिए मिर्जापुर के स्पेशल पत्थरों का इस्तेमाल होगा। इसके ऊपर मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।
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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की मानें तो इस काम में देश की नौ इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के टॉप इंजीनियर काम कर रहे हैं। उन्होंने इस पद्धति को स्वीकार किया है। सूत्रों की मानें तो गुरुवार को अयोध्या में भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा के सामने मंदिर की नींव की डिजाइन पेश की जाएगी। इस पर ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ नृपेंद्र मिश्रा बैठक भी करेंगे। इसके लिए नृपेंद्र मिश्रा अयोध्या पहुंचे हैं। गुरुवार को राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या के सर्किट हाउस में अहम बैठक होनी है जिसमें पहले कारीदायी संस्था के इंजीनियर और ट्रस्ट के पदाधिकारी भी शामिल होंगे।
चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर के नींव के निर्माण की तैयारियां चल रही हैं। शीघ्र ही नींव का निर्माण कार्य सबके सामने आएगा। उन्होंने कहा कि देश के इंजीनियर और इंजीनियरिंग दुनिया में अव्वल दर्जे की है। इंजीनियरों ने राम मंदिर निर्माण के लिए चार विकल्प सोचकर पहले से रखा था। अब जो हो रहा है वो सबसे अच्छा और सर्वोत्कृष्ट हो रहा है। पहली पद्धति, खंभों की पाइलिंग सितंबर माह में ही असफल हो चुकी है।
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उन्होंने कहा कि देश की नौ इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट इस दिशा में काम कर रही हैं। राम मंदिर की आयु लंबी हो, इसका समाधान उन्होंने खोज लिया है। जितने हिस्से में मंदिर का निर्माण हो रहा है उतने ही हिस्सों में निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है। नींव की खुदाई का कार्य 15 जनवरी से शुरू हो चुका है।