नई दिल्ली। G-20 Summit दिल्ली के प्रगति मैदान में जारी है। समिट के दूसरे सेशन में नई दिल्ली जी-20 घोषणापत्र पर सबकी सहमति बनी। पीएम मोदी ने खुद इसकी जानकारी दी है। पीएम ने कहा कि हमारी टीम की कड़ी मेहनत और सबकी सहमति से घोषणा पत्र पर आम सहमति बन गई है। इसके बाद पीएम ने सभी शीर्ष नेताओं, अधिकारियों और मंत्रियों को धन्यवाद दिया।
बता दें कि समिट के दूसरे सत्र में पीएम मोदी ने भी घोषणा पत्र मंजूर होने की जानकारी दी थी। इस दौरान विकास और सस्टेनेबल जैसे मुद्दों के साथ विदेश मंत्री ने रूस और यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की। भारत के लिए यह एक बड़ी सफलता मानी जा सकती है। इसके अलावा, रूस और यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया गया लेकिन भारत ने अपने खास दोस्त रूस का नाम नहीं लिय।
जानकारी के मुताबिक, घोषणा-पत्र को सभी देशों की सहमति मिल गई है। इसमें नौ बार ‘भारत’ का जिक्र किया गया है। घोषणा-पत्र में चार यूक्रेन का भी जिक्र है। इसमें भारत को चंद्रयान-3 की सफलता के लिए बधाई भी दी गई है।
क्या है 37 पेजों के दिल्ली घोषणा पत्र में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत मंडपम’ में G-20 समिट के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए घोषणा पत्र पर सबकी सहमति बनने की जानकारी दी थी। 37 पेजों के घोषणा पत्र में हर तरह के आतंकवादी गतिविधियों की आलोचना की गई है। इस घोषण पत्र में यूक्रेन संकट का भी जिक्र है और 4 बार इसका नाम लिया गया है जबकि 9 बार आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया गया है। भारत के लिए घोषणा पत्र की मंजूरी बहुत बड़ी सफलता है क्योंकि पहले इस पर आम सहमति बनने पर संशय जताया जा रहा था।
रूस यूक्रेन युद्ध पर पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर संयुक्त बयान पर सहमति बनना भारत के लिए कूटनीतिक तौर पर बड़ी सफलता है। इसे खास तौर पीएम नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक दक्षता और मजबूत वैश्विक छवि से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यूक्रेन संकट पर साझे बयान में 4 बार यूक्रेन का नाम लिया गया है जबकि भारत के करीबी दोस्त रूस का एक बार भी जिक्र नहीं किया गया है।
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बता दें कि अमेरिका समेत तमाम बड़े देश रूस के खिलाफ बेहद सख्त भाषा का प्रयोग और स्पष्ट निंदा चाहते थे। हालांकि भारत ने डिप्लोमैटिक तरीके से इसे पेश किया है और संकट पर चर्चा के साथ रूस और चीन को साधने का काम भी किया है।
आतंकवाद से लेकर विदेशी हमले समेत सभी मुद्दों पर चर्चा
घोषणा पत्र में आतंकवाद को किसी भी रूप और किसी भी स्तर पर अस्वीकार्य बताया गया है। घोषणा पत्र में कहा गया है, ‘यूक्रेन में युद्ध को लेकर हमने बाली में भी चर्चा की थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा (A/RES/ES-11/1 and A/RES/ES-11/6) प्रस्ताव के तहत हम सबको यूएन चार्टर के सिद्धांतों के अनुकूल लगातार काम करना होगा।’ घोषणा पत्र में चीन की साम्राज्यवादी पैंतरों पर चोट करते हुए कहा गया कि किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ उसके किसी भूभाग पर कब्जे के लिए ताकत के इस्तेमाल से बचना चाहिए।