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Ganesh Chaturthi: इस रंग के श्रीगणेश हैं शुभ, इस दिशा में करें स्थापित

Ganesh

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श्रीगणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर प्रथम पूज्य श्रीगणेश का बाईं ओर मुड़ी सूंड वाला यानि वाममुखी-विग्रह ही घर लाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मुद्रा वाले गणपति सर्वाधिक शुभ माने जाते हैं। श्रीगणेश चतुर्थी से अनंत चतुदर्शी तक उनके विधिवत पूजन-अर्चन से सुख, शांति, स्वास्थ्य व समृद्धि की उपलब्धि होती है।

संस्कारधानी जबलपुर निवासी धार्मिक विषय ज्ञाताओं के अनुसार श्रीगणेश विग्रह के रंग पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए। मिट्टी, धातु या पाषाण जैसी शुभ सामग्रियों से निर्मित गणेश प्रतिमाएं अधिकाधिक सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।

सिंदूरी रंग के श्रीगणेश (Ganesh) घर लाना सबसे अधिक शुभ

वस्तुत: सिंदूरी रंग की श्रीगणेश प्रतिमा घर लाना सबसे अधिक शुभ माना जाता है। इस रंग की श्रीगणेश प्रतिमा घर लाकर विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर लिया तो आराधक के आत्मविश्वास में अत्यधिक अभिवृद्धि परिलक्षित होती है।

श्वेत-धवल विराजने से घर में खुशहाली की बयार

श्वेत-धवल गणपति बप्पा को विराजने से घर में खुशहाली की बयार बहने लगती है। दरअसल, श्रीगणेश की जीवंत व शुभ रंगों लाल, पीला या स्वर्णिम वाली प्रतिमाएं भी घर लाई जा सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सभी रंग जीवनी-शक्ति व समृद्धि के द्योतक होते हैं।

काष्‍ठ यानि लकड़ी के श्रीगणेश (Ganesh) देते हैं दीर्घायु का वरदान

काष्‍ठ यानि लकड़ी के श्रीगणेश भी शुभ माने जाते हैं। इस तरह के गणेश स्वास्थ्य और दीर्घायु का वरदान देते हैं। जबकि क्रिस्टल गणेश वास्तुदोष दूर करने में सहायक होते हैं। हरिद्रा यानि हल्दी के गणेश की मूर्ति घर में विराजमान कर दी जाए तो सौभाग्य कई गुना बढ़ जाता है।

अकऊआ की जड़ के गणपति मिलें तो भाग्य के पट खुले

यदि किसी को अकऊआ की जड़ के गणपति मिल जाएं तो समझिए कि उसके भाग्य के पट खुल जाते हैं, उसे रिद्धि-सिद्धि की विशेष कृपा मिल जाती है। गणपति की मूर्ति गृह के मुख्य द्वार की ओर होने पर घर में किसी तरह की नकारात्मकता प्रवेश नहीं कर पाती।

श्रीगणेश (Ganesh)  को दूर्वा अतिशय प्रिय, प्रतिदिन दूर्वा अवश्य अर्पित करें

श्रीगणेश को दूर्वा अतिशय प्रिय है, अत: उन्हें प्रतिदिन दूर्वा अवश्य अर्पित करनी चाहिए। साथ ही गणपति के वार बुधवार को दूर्वा यानि हरितिमायुक्त रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करने से फल अपेक्षाकृत शीघ्रता से प्राप्त होता है। इससे भाग्य बलवान होता है।

बप्पा (Ganesh) की मूर्ति में मूषक अवश्य हो और हाथ में मोदक भी

सनातनी भक्तों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जब वे श्रीगणेश विग्रह घर लाएं तो इस बात की तस्दीक कर लें कि श्रीगणेश की मूर्ति के साथ उनका प्रिय वाहन मूषक बैठा हो और श्रीगणेश के एक हाथ में उनको अतिशय प्रिय सुस्वादु मोदक भी अवश्य हो।

उत्तर दिशा में स्थापित गणपति (Ganesh)  देते हैं अत्यधिक शुभ-फल

यह भी महत्वपूर्ण धार्मिक तथ्य है कि उत्तर दिशा में स्थापित किए जाने वाले शिव-पार्वतीनंदन श्रीगणेश अपेक्षाकृत अधिक शुभ फल प्रदान करते हैं। यह दिशा माता लक्ष्मी और देवाधिदेव महादेव की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में श्रीगणेश का मुख रखने से श्रीगणेश भगवान के साथ-साथ माता लक्ष्मी और महादेव का आशीर्वाद समानांतर रूप से प्राप्त होता है।

बाईं सूंड़ के अलावा सीधी सूंड व नटराज मुद्रा भी शुभ

श्रीगणेश की बाईं ओर मुंडी सूंड के अलावा सीधी सूंड भी पूजन के लिए श्रेयस्कर मानी गई है। नृत्यमय यानि नटराज मुद्रा वाले श्रीगणेश घर में मुदिता लाने में सहायक होते हैं। इससे उन्नति का पथ प्रशस्त होता है।

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