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सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड समेत चार गिरफ्तार

fraudster arrested

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लखनऊ। यूपी एसटीएफ ने सरकारी नौकरी में भर्ती कराने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का खुलासा कर गैंग सरगना सहित चार अभियुक्तों को वाराणसी से गिरफ्तार किया है।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार किये गये आरोपियों में रामानुज भारद्वाज उर्फ सुरेश निवासी खरगीपुर, थाना चौबेपुर जनपद वाराणसी, अजय कुमार गौतम निवासी उन्दी, थाना शिवपुर, वाराणसी, अनिल भारती निवासी भौनी, थाना शिवपुर, वाराणसी और विश्वेश मिश्रा निवासी एमए-बी-6एल करौंदी, थाना लंका, वाराणसी हैं। इनके पास से 5 मोबाइल फोन, 8 रेलवे व सचिवालय में भर्ती के लिए फर्जी तरीके से तैयार नियुक्ति पत्र, 3 बैंक चेक, लैपटाप, 6000 रुपये नगद और 2 मोटरसाइकिल बरामद हुई हैं। इनकी गिरफ्तारी वाराणसी के सिंहपुर चौराहा रिंग रोड से की गयी है।

दरअसल, कुछ दिनों से एसटीएफ को वाराणसी एवं इसके आस-पास के जनपदों में सचिवालय, बीएचयू, रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर एक गिरोह के सक्रिय होने की इनपुट मिलिट्री इन्टेलीजेन्स (एमआई) वाराणसी से मिली थी। इस संबंध में एक टीम सुरागरसी में लगायी गयी थी। पुलिस टीम ने सुरागरसी की तो पता चला कि रेलवे विभाग एवं लखनऊ सचिवालय एवं बीएचयू वाराणसी में भर्ती के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का सरगना रामानुज भारद्वाज उर्फ सुरेश अपने गैंग के साथियों के साथ थाना सारनाथ रिंगरोड पर सिंहपुर चैराहे के पास खड़ा है और कुछ लड़को को सरकारी नौकरी में भर्ती के नाम पर ठगी करने के लिये उन्हें बुलाया है। इस सूचना पर एसटीएफ की टीम ने घेराबंदी कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी की।

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गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ में पता चला कि इनका एक संगठित गिरोह है और यह वर्ष 2017 से सक्रिय हैं। ये लोग इण्टरनेट पर सरकारी नौकरी की वेबसाइट चेक किया करते थे। इसके उपरान्त इन लोगों द्वारा वाराणसी के थाना लंका क्षेत्रान्तर्गत सुन्दरपुर स्थित मैटिक्स कम्प्यूटर के मालिक विश्वेश मिश्रा से सम्पर्क किया गया और उसे पैसा का लालच देकर बीएचयू की फर्जी वेबसाइट और उप्र शासन के सचिवालय की फर्जी वेबसाइट बनवायी गयी।

इसके उपरान्त इन लोगों द्वारा यह पता लगाया जाता था कि किस-किस सरकारी विभाग में भर्तियां निकली है। भर्तियों का विज्ञापन निकलने के उपरान्त इन लोगों द्वारा विज्ञापन का स्क्रीनशॉट लेकर इच्छुक अभ्यथियों को व्हाट्सअप पर भेजकर फार्म भरने के लिये कहा जाता था। अभ्यर्थियों द्वारा संबंधित विभाग के विज्ञापन के अनुसार फार्म भरा जाता था। इसके उपरान्त इन्हें भर्ती करवा देने का झांसा देकर इनसे 05-05 लाख रुपए की मॉंग करते थे और एडवान्स के रूप में कुछ पैसा मिलने के उपरान्त अभ्यर्थियों को पूर्व से तैयार की गयी फर्जी वेबसाइट उपलब्ध कराते हुये अभ्यर्थियों को बताया जाता था कि भर्ती का रिजल्ट वेबसाइट पर घोषित कर दिया गया है, आपलोग अपना-अपना नाम देख लिजिये।

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वेबसाइट पर नाम देखने के उपरान्त अभ्यर्थियों द्वारा विश्वास करने के उपरान्त शेष पैसा इन्हें दे दिया जाता था। अभ्यर्थियों द्वारा कुछ दिनों के उपरान्त नियुक्ति पत्र के बारे में पूछने पर इन लोगों द्वारा कूटरचित नियुक्ति पत्र तैयार कर रजिस्टर्ड पोस्ट से भेज दिया जाता था।

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