सनातन धर्म में मां गंगा की महिमा का वर्णन मोक्षदायिनी के रूप में होता है। वैदिक साहित्य में जीवन के चार विशेष चरणों धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का वर्णन मिलता है। मां गंगा उपस्थिति इन चारों चरणों में होती है। मां गंगा के बिना भारतीय जीवन दर्शन की कल्पना अधूरी रह जाती है। सदियों से गंगा तट पर गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के दिन पर्व मनाया जात है। इस विशेष तिथि पर श्रद्धालु मां गंगा में डुबकी लगाते है और जीवन के जगत के कल्याण के लिए मां गंगा से प्रार्थना करते है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, कल यानी 16 जून 2024, रविवार के दिन गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) पर्व मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर मां गंगा की उपासना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
हिंदू धर्म में मां गंगा को मोक्षदायिनी के नाम से जाता है। सदियों से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि, जो व्यक्ति मां गंगा में स्नान करता है, उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 16 जून को रात 2 बजकर 32 पर होगी. वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 17 जून को सुबह 4 बजकर 45 मिनट पर होगा. इसके चलते गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का पर्व 16 जून को मनाया जाएगा. वहीं, हस्त नक्षत्र सुबह 8 बजकर 14 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. ये समय पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा.
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) पूजा विधि
– गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल से स्नान करें.
– इसके बाद सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें.
– मंदिर में घी का दीपक और धूप जलाएं.
– फिर मां गंगा के साथ-साथ भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें.
– श्रद्धाभाव से मां गंगा की आरती और चालीसा का पाठ करें.
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का महत्व
हिन्दू धर्म में गंगा नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है.
गंगा आरती (Ganga Aarti)
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।