नई दिल्ली। सौरव गांगुली टीम इंडिया की कप्तानी से हटा दिए गए। इसके बाद वह वनडे और टेस्ट में अपनी जगह भी गंवा बैठे। यह घटना भारतीय क्रिकेट इतिहास के चर्चित घटनाक्रमों में से एक रही। उस समय टीम इंडिया के हेड कोच ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज ग्रेग चैपल थे। गांगुली 2005 में अपने साथ हुए अन्याय पर अक्सर खुल कर बोलते रहते हैं। हाल ही में बंगाली दैनिक को दिए एक इंटरव्यू में गांगुली कहा कि इतना सबकुछ हो जाने के बाद भी उन्होंने आत्मविश्वास कभी नहीं खोया, क्योंकि वह जानते थे कि वह ग्लेन मैकग्रा, वसीम अकरम और शोएब अख्तर के खिलाफ रन बना रहे थे।
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सौरव गांगुली ने कहा, ”2005 के जिंब्बावे दौरे से लौटने के बाद मुझे टीम से ड्रॉप कर दिया, लेकिन मैंने अपना आत्मविश्वास कभी नहीं खोया। मैं मैदान पर जाकर वसीम अकरम, मैकग्रा और शोएब अख्तर के खिलाफ रन बना सकता था, लेकिन ऐसा मेरे कोच नहीं कर सकते थे।”
उन्होंने कहा, ”यदि मैं ऐसा 10 साल कर सकता था, तो मौका मिलने पर मैं ऐसा दोबारा भी कर सकता हूं।” गांगुली के मुताबिक, टीम से बाहर होने पर वह अपसेट थे, लेकिन इस बात ने उन्हें और अधिक आत्मविश्वास दिया।
सौरव गांगुली ने 311 वनडे में 41.02 की औसत से 11363 रन बनाए। इनमें 22 शतक भी शामिल हैं। उन्होंने 113 टेस्ट में 42.17 की औसत से 7212 रन भी बनाए, इनमें 16 शतक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस सबसे लिए सिर्फ ग्रेग चैपल को ही दोष नहीं दिया जा सकता, लेकिन इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि इसकी शुरुआत उन्होंने ही की थी।
गांगुली ने कहा, ”उन्होंने मेरे खिलाफ बोर्ड को एक मेल भेजी थी। वह मेल लीक हो गई। क्या ऐसा होता है? क्रिकेट टीम एक परिवार की तरह होती है। आपकी राय अलग हो सकती, परिवार में कुछ गलतफहमियां भी हो सकती हैं, लेकिन इन सबकों बातचीत से हल किया जा सकता है।”
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उन्होंने आगे कहा, ”आप कोच हैं… यदि आप चाहते हैं कि मुझे किसी खास तरीके से खेलना चाहिए तो आप यह बात मुझसे कह सकते हैं। जब मैं वापस आया तो उन्होंने यही बातें मुझसे कहीं। ये बातें पहले भी कही जा सकती थीं।” बता दें कि 2005 में टीम से बाहर होने के बाद सौरव गांगुली ने 2006 में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर वापसी की। उन्होंने इस वापसी पर खूब रन बनाए और अगले दो वर्ष तक वह अच्छी पारियां खेलते रहे।