दवा और ऑक्सीजन सिलेंडर की होर्डिंग के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। वहीं, ड्रग कंट्रोलर ने इस मामले में गौतम गंभीर फाउंडेशन को दोषी माना है।
ड्रग कंट्रोलर की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि 2349 स्ट्रिप्स फेबीफ्लू गौतम गंभीर फाउंडेशन द्वारा खरीदा गया। मामले की सुनवाई के दौरान ड्रग कंट्रोलर ने हाई कोर्ट में यह भी बताया है कि इस मामले में गौतम गंभीर फाउंडेशन को नोटिस जारी कर यह पूछा है कि दवाइयां उन्होंने कहां से खरीदीं और क्या इसके लिए उन्होंने लाइसेंस अथॉरिटी से इजाजत ली थी?
ड्रग कंट्रोल विभाग की ओर से वकील नंदिता राव ने कहा कि गंभीर फाउंडेशन ने 120 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे और अधिकृत डीलरों द्वारा फिर से भरे गए और डॉ. सिद्धार्थ की देखरेख में विभिन्न लोगों को वितरित किए गए। गौतम गंभीर फाउंडेशन द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली दवाएं 1,139 मरीजों को मिलीं। गौतम गंभीर फाउंडेशन ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत अपराध करते हुए फेबीफ्लू की अनधिकृत तरीके से स्टॉकिंग भी की। गौतम गंभीर फाउंडेशन ने दवाइयों को स्टोर करके ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन किया है।
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हाई कोर्ट ने कहा..दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ड्रग कंट्रोलर सिर्फ इस मामले में ही नहीं, बल्कि उन सभी मामलों में जहां ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत उल्लंघन हुआ है, जांच कर सकता है। फाउंडेशन ने इतने बड़े पैमाने पर डीलर से इतनी दवाई कैसे खरीद ली। कोर्ट ने कहा- अब जब आप ड्रग कंट्रोलर के वकील हैं, तो हमें आप पर पूरा भरोसा है। कोर्ट ने कहा कि गौतम गंभीर ने सार्वजनिक भावना से खरीद की है और इसे प्राप्त करने में बहुत पैसा खर्च किया है, लेकिन किस कीमत पर? आपने निस्संदेह दान किया. यदि आप दान करना चाहते हैं, तो आपको केवल दान को एक तरीके से करना चाहिए। हम चाहते हैं कि ड्रग कंट्रोलर इसका इस्तेमाल करें और इस पर लगाम लगाएं।
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नंदिता राव ने कोर्ट में कहा कि स्टेरॉयड बांटने वाले लोगों पर हम करवाई करेंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग ब्लैक मार्केट के दवा खरीद रहे हैं, लेकिन हम हताशा के लिए उन पर मुकदमा नहीं चलाना चाहते हैं। क्या यह केवल गौतम गंभीर तक है? इस पर नंदिता राव ने कहा कि यह गौतम गंभीर, प्रवीण कुमार विधायक और अन्य सब पर है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से हफ्ते भर में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारी मंशा है कि हम उन पर कार्रवाई करें, जिन्होंने कोविड-19 की महामारी में ऑक्सीजन और दवाइयों का बड़ा स्टॉक अपने पास रखा था। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को करेगा।