आय से अधिक संपत्ति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा परिवाद को निर्धारित समयसीमा खत्म होने के बाद दाखिल करने को आधार बनाकर पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से जमानत दिए जाने की मांग वाली अर्जी को विशेष न्यायाधीश/सत्र न्यायाधीश सर्वेश कुमार ने सोमवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ईडी ने दंड प्रक्रिया संहिता में तय समयसीमा के भीतर ही परिवाद दाखिल किया है।
गौरतलब है कि बीते 24 सितंबर को जमानत दिए जाने की मांग वाली अर्जी देकर पूर्व मंत्री की ओर से बताया गया था कि ईडी की मांग पर आरोपी गायत्री प्रसाद को बी वारंट के जरिए तलब किया था। गत 8 फरवरी को कोर्ट ने उन्हें हिरासत में लिया था, तब से वह जेल में हैं। ईडी ने निर्धारित समय 60 दिन बीतने के बाद कोर्ट में परिवाद दाखिल किया है। लिहाजा आरोपी को दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत जमानत मिलनी चाहिए।
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वहीं, ईडी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि निर्धारित समय के भीतर ही परिवाद दाखिल कर दिया था। इस पर अभियुक्त की ओर से 9 अप्रैल 2021 को जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया। इसके बाद ईडी ने जमानत आवेदन पर भी अपनी आपत्ति दाखिल कर दी थी। आरोपी ने इस मामले में अंतरिम राहत के लिए दो बार हाईकोर्ट की शरण ली, लेकिन कोई राहत नहीं मिला।
वहीं, जमानत अर्जी लंबित रहने पर गायत्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कहा गया था कि उनके अर्जी पर विशेष अदालत सुनवाई कर निस्तारण नहीं कर रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने विशेष अदालत से निर्देश लेकर अदालत को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि प्रार्थना पत्र की सुनवाई आदेश प्रस्तुत करने के दिन ही पूरी कर ली जाए। बचाव पक्ष की ओर से शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रस्तुत किया गया। इस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और सोमवार को अर्जी खारिज कर दिया