Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

गीता जयंती: हर श्लोक में छिपा है हमारी समस्याओं का हल, जानें इसका महत्व

Geeta Jayanti

Geeta Jayanti

हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती (Geeta Jayanti) मनाई जाती है। सनातन धर्म में गीता जयंती का महत्व बहुत ज्यादा है। महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए इसे जयंती के रूप में मनाया जाता है।

श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ और अनुसरण करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। गीता सब तरह के संकटों से प्रत्येक उबारने का सर्वोत्तम साधन है। श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों में कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग का उपदेश है। गीता जयंती के दिन ही मोक्षदा एकादशी भी मनाई जाती है।

गीता जयंती (Geeta Jayanti)  की पूजन विधि-

गीता जयंती (Geeta Jayanti) के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ किया जाता है। घरों और मंदिरों भगवान कृष्‍ण और श्रीमद्भगवद्गीता की पूजा की जाती है। इस मौके पर कई लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन गीता के उपदेश पढ़ने और सुनने का खास महत्व होता है।

इस दिन गीता का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। आज के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को वस्त्र या अन्न का दान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। गीता को गीतोपनिषद के नाम से भी जाना जाता है। गीता के उपदेशों को आत्मसात और अनुसरण करने पर समस्त कठिनाईयों और शंकाओं का निवारण होता है।

श्रीमद्भगवद् गीता का महत्‍व-

हिंदू धर्म मे चार वेद हैं और इन चारों वेद का सार गीता में है। यही कारण है कि गीता को हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र धर्मग्रंथ माना गया है। पूरे विश्व में ये एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। गीता का पाठ करने से जीवन की वास्‍तविकता से परिचय होता है और व्यक्ति बिना स्‍वार्थ कर्म करने के लए प्रेरित होता है।

गीता अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध,काम और लोभ जैसी सांससरिक चीजों से मुक्ति का मार्ग बताती है। कुरुक्षेत्र में अर्जुन को श्रीकृष्ण ने ज्ञान का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें सही और गलत का अंतर भी बताया था। गीता में श्लोक के माध्यम से जीवन जीने की अद्भुत कला सीखाई गई है। श्रीकृष्ण द्वारा कही गई गीता लोगों को अच्‍छे-बुरे कर्मों का फर्क समझाती है।

Exit mobile version