नई दिल्ली। भारत में तैयार हुई भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (Corona Vaccine) के लिए अच्छी खबर सामने आई है। जर्मनी ने कोवैक्सीन (Covaxin) को मंजूरी दे दी है। लंबे समय से इस मंजूरी का इंतजार किया जा रहा था। इससे जर्मनी यात्रा करने वाली भारतीयों को बड़ी राहत मिलने वाली है।
बता दें पहले की तरह अब 1 जून से भारतीयों को यात्रा से पहले वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट (Vaccination Certificate) देने की जरूरत नहीं होगी। खासकर ये मंजूरी ट्रैवल के मद्देनजर दी गई है।
वहीं इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोवैक्सीन (Covaxin) की सप्लाई पर रोक लगा दी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उसने भारत बायोटेक द्वारा निर्मित COVID-19 कोवैक्सीन (Covaxin) की संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से सप्लाई पर रोक लगाई है। ये रोक इसलिए लगाई गई थी ताकि निर्माता सुविधाओं को अपग्रेड और निरीक्षण में पाई गई खामियां को दूर किया जा सके।
कोवैक्सीन (Covaxin) के सप्लाई पर लगी थी रोक
डब्ल्यूएचओ ने बयान के अनुसार वैक्सीन प्राप्त करने वाले देशों से उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया था, लेकिन यह नहीं बताया कि कैसी कार्रवाई की जाएगी। डब्ल्यूएचओ ने कहा था वैक्सीन असरदायक है और कोई इसकी सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है, लेकिन निलंबन के परिणामस्वरूप कोवैक्सिन (Covaxin) की आपूर्ति बाधित होगी। बता दें ये निलंबन 14 से 22 मार्च तक डब्ल्यूएचओ पोस्ट इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (ईयूएल) निरीक्षण के परिणामों के जवाब में लिया गया था।
वहीं इससे पहले अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने भारत बायोटेक के कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन के तीन में से दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल पर लगे बैन को हटा लिया गया है। अमेरिका और कनाडा में इस वैक्सीन के लिए भारत बायोटेक के साझेदार ओकुजेन इंक की तरफ से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई थी। बयान में कहा गया था कि, हम काफी खुश हैं कि हम कोवैक्सीन के लिए अपने क्लिनिकल ट्रायल पर आगे बढ़ सकते हैं। हमारा मानना है कि एक अतिरिक्त, अलग तरह का टीका उपलब्ध कराने की जरूरत प्राथमिकता बनी हुई है।
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परीक्षण को रोकने के लिए अप्रैल में लिया गया एफडीए का फैसला परीक्षणों में शामिल लोगों को टीके की खुराक देने में अस्थायी रोक को स्वैच्छिक रूप से लागू करने संबंधी अमेरिकी कंपनी के फैसले पर आधारित था। भारत में कोवैक्सीन की उत्पादन इकाइयों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की टिप्पणी के बाद यह फैसला लिया गया था।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक डॉ शंकर मुसुनुरी ने मुसुनुरी ने कहा कि पूर्व में डब्ल्यूएचओ ने अमेरिकी खरीद एजेंसियों के जरिये कोवैक्सीन की आपूर्ति को स्थागित कर दिया था। डब्ल्यूएचओ के निरीक्षकों ने भारत बायोटेक के उत्पादन संयंत्रों में जीएमपी (अच्छे उत्पादन व्यवहार) में कमी पाई थी जिसके बाद यह कदम उठाया गया था।