उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बाल कृष्ण नारायण ने ‘‘मुंबई से आ रहे यात्रियों की नहीं की जा रही कोरोना जांच‘‘ खबर का स्वतः संज्ञान लेकर जिलाधिकारी प्रयागराज को संबंधित प्रकरण की दो सप्ताह में जांच कराकर अख्या आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।
हिन्दी दैनिक अखबार में प्रकाशित समाचार के अनुसार-कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर सतर्कता के निर्देश हैं, लेकिन प्रयागराज में हर तरफ लापरवाही जारी है, प्रयागराज का हाल यह है कि मुंबई के यात्री बिना जांच के आराम से प्रवेश पा रहें है।
गौरतलब है कि मंगलवार को प्रयागराज जंक्शन पर मुंबई की ट्रेनों से उतरे यात्री बेरोकटोक स्टेशन के बाहर निकल गए। जंक्शन पर कोविड जांच के लिए लगाई गई स्वास्थ्य विभाग की टीम दोपहर में नदारद थी।
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मानवाधिकार आयोग ने इस प्रकरण को प्रथम दृष्टया मानवाधिकार के हनन का प्रत्यक्ष उदहारण माना है। प्रकरण अति आवश्यक एवं अत्यंत गंभीर हैं मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 एवं अधिनियम के अन्य सुसंगत उपबन्धों में अन्तर्विष्ट विधि में प्रदत्त शक्तियों एवं उद्देश्यों के प्रयोग में, आयोग द्वारा इस प्रकरण को स्वप्रेरणा से संज्ञान में लेना उचित, युक्तियुक्त, प्रासंगिक, समीचीन, विधि एवं न्यायहित में ईष्टकर माना है।