हिंदू धर्म में सभी संस्कारों से ज्यादा महत्वपूर्ण विवाह संस्कार होता है, क्योंकि इसके बाद नव दंपतियों का नया जीवन शुरू होता है। ऐसे में हमें ध्यान रखना चाहिए कि शादी में सब वास्तु और ज्योतिषीय नियमों के अनुसार ही हो। वास्तु शास्त्र में शादी के कार्ड (Wedding Card) के बारे में भी कुछ नियम हैं। उनका पालन करना चाहिए, जिससे वास्तु दोष न हो। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने इस बारे में विस्तार से बताया है।
कैसा होना चाहिए शादी का कार्ड (Wedding Card) ?
– वास्तु शास्त्र में बताया है कि वेडिंग कार्ड (Wedding Card) में गणेश जी के फोटो का चलन बढ़ गया है, लेकिन ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए। एक बार शादी होने के बाद यह कार्ड कूड़े में पड़े मिलते हैं। उस पर गणेश जी का फोटो होने से यह उनका अपमान होता है।
– वास्तु के अनुसार यह ध्यान देना चाहिए कि वेडिंग कार्ड (Wedding Card) कभी ट्रायंगल या पत्तों के आकार का न बनवाएं। यह अशुभ होता है। ट्रायंगल के आकार का बना वेडिंग कार्ड अपनी ओर नकारात्मकता को आकर्षित करता है। पत्ते की शेप में बना वेडिंग कार्ड शुभ नहीं माना जाता है। भगवान भी ऐसे वेडिंग कार्ड को स्वीकार्य नहीं करते हैं।
– वास्तु शास्त्र में चौकोर आकार के वेडिंग कार्ड (Wedding Card) को शुभ माना गया है। शादी एक इस कार्ड के चार कोने सुख, समृद्धि, शांति और सौभाग्य के प्रतीक होते हैं।
– वास्तु के हिसाब से शादी के कार्ड (Wedding Card) के रंग का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कभी भी भूल कर काले या भूरे रंग के कार्ड नहीं बनवाने चाहिए। शादी का कार्ड हमेशा पीले रंग का ही होना चाहिए। लाल रंग के कार्ड को भी शुभ माना गया है। कार्ड के कागज में खुशबू आ रही हो, इसका भी ध्यान रखना चाहिए।