फर्रुखाबाद। जिले का राजकीय बालिका इंटर कॉलेज फतेहगढ़ अब फर्रुखाबाद की मिट्टी में जन्मी महान साहित्यकार, विख्यात कवयित्री, कुशल अध्यापिका एवं प्रयाग महिला विद्यापीठ की संस्थापिका महीयसी महादेवी वर्मा के नाम से जाना जाएगा। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने जिलाधिकारी के माध्यम से इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज था। जिसके उपरान्त अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने संज्ञान लेते हुए राजकीय बालिका इंटर कॉलेज फतेहगढ़ का नाम महीयसी महादेवी वर्मा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज कर दिया है।
बता दें, महीयसी महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद के मोहल्ला चिलपुरा में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा प्रयाग में हुई। प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्या पद पर लंबे समय तक कार्य करते हुए उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयत्न किए। सन 1987 में उनका देहांत हो गया। महादेवी जी छायावाद के प्रमुख कवियों में से एक थीं। नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। कविता के साथ-साथ उन्होंने सशक्त गद्य रचनाएं भी लिखी हैं, जिनमें रेखाचित्रा तथा संस्मरण प्रमुख हैं। अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, शृंखला की कड़ियां उनकी महत्वपूर्ण गद्य रचनाएं हैं।
महादेवी वर्मा को साहित्य अकादमी एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से अलंकृत किया। महादेवी वर्मा की साहित्य साधना के पीछे एक ओर आजादी के आंदोलन की प्रेरणा है तो दूसरी ओर भारतीय समाज में स्त्री जीवन की वास्तविक स्थिति का बोध भी है।
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हिंदी गद्य साहित्य में संस्मरण एवं रेखाचित्रा को बुलंदियों तक पहुंचाने का श्रेय महादेवी जी को है। उनके संस्मरणों और रेखाचित्रों में शोषित, पीड़ित लोगों के प्रति ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी आत्मीयता एवं अक्षय करुणा प्रकट हुई है। उनकी भाषा-शैली सरल एवं स्पष्ट है तथा शब्द चयन प्रभावपूर्ण और चित्रात्मक।
बचपन के दिन में महादेवी जी ने अपने बचपन के उन दिनों को स्मृति के सहारे लिखा है जब वे विद्यालय में पढ़ रही थीं। इस अंश में लड़कियों के प्रति सामाजिक रवैये, विद्यालय की सहपाठिनों, छात्रावास के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसंगों का बहुत ही सजीव वर्णन है।