रामपुर। समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान के घर में ही उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने करारी शिकस्त दी है। भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी (ghanshyam lodhi) ने सपा के आसिम राजा को करीब 38 हजार वोटों से पराजित किया है। यह तब हुआ है, जब आजम खान ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को रामपुर में प्रचार करने से मना किया था। आजम ने वादा किया था कि वह रामपुर संसदीय सीट पार्टी को जीत कर देंगे। वह ऐसा कर पाने में बुरी तरह असफल रहे।
2024 से पहले उप्र में हुए लोकसभा उपचुनाव को सेमी फाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। रामपुर में भाजपा को मिली जीत आने वाले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए अच्छे संकेत हैं। आजमगढ़ सीट पर भाजपा और सपा में कड़ी टक्कर मानी जा रही थी। कयास लगाए जा रहे थे कि निरहुआ आजमगढ़ में सीट निकाल सकते हैं जबकि, रामपुर में सपा के लिए लोग एकतरफा जीत का दावा कर रहे थे। मतगणना के दौरान इसके उलट स्थिति देखने को मिली। रामपुर में घनश्याम लोधी ने एक बार बढ़त बनाई तो पलट कर नहीं देखे। रामपुर में कमल खिलने से भाजपा के खेमे में खुशी की लहर है।
अपने ही घनश्याम (ghanshyam lodhi) से हार गए आजम
सपा के कद्दावर नेता आजम खान का किला ढह गया है। भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी (ghanshyam lodhi) ने चुनाव जीत लिया है। परिणाम आने के साथ ही यह चर्चा शुरू हो गयी है कि आजम अपने घनश्याम (ghanshyam lodhi)से शिकस्त खा गए। घनश्याम कभी आजम के बेहद करीबी हुआ करते थे। आजम के दाहिने हाथ के तौर पर वह उनकी सियासी ट्रेन दौड़ाया करते थे। भाजपा ने घनश्याम को ही टिकट दे दिया। घनश्याम को आजम के सारे दांव-पेंच पता थे। लिहाजा आजम की कोई भी चाल इस बार घनश्याम के सामने नहीं चल पाई और भाजपा को जीत मिल गई। इसके साथ ही आजम पर सियासी संकट मंडराने लगा है।
रामपुर संसदीय क्षेत्र में कब किस दल को मिली जीत
रामपुर से पहले पांच लोकसभा चुनावों में कांग्रेस जीतती रही। पहली बार 1977 में गैर कांग्रेसी दल जनता पार्टी का कब्जा हुआ। 1952 में रामपुर संसदीय सीट से पहला चुनाव कांग्रेस के कद्दावर नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद जीते। 1957 और 1962 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार क्रमश: अहमद मेहंदी और जुल्फिकार अली खान को जीत मिली। जुल्फिकार अली खान ने 1971 के चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने में सफल रहे। पहली बार गैर कांग्रेसी दल से 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के राजेंद्र कुमार शर्मा जीते।
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1980, 1984 और 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जुल्फिकार अली खान को लगातार इस सीट पर जीत मिली। 1991 में रामपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजेंद्र कुमार शर्मा एक बार फिर चुनाव जीते। 1996 में फिर से कांग्रेस की उम्मीदवार बेगम नूर बानो ने बाजी मारी। 1998 में भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी को जीत मिली। 1999 में फिर से बेगम नूर बानो ने कांग्रेस को जीत दिलाई। 2004 और 2009 समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार जयाप्रदा ने रामपुर सीट से जीत दर्ज की। 2014 में मोदी लहर में भाजपा के डॉक्टर नेपाल सिंह इस सीट पर जीते लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के आजम खान ने जीत दर्ज की। 2022 के उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी ने बाजी मारी है।