राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गुरुवार को हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) कानपुर के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल हुए। उन्होंने इस मौके पर कहा कि एचबीटीयू को तेल, पेंट, प्लास्टिक और खाद्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में योगदान के लिए मान्यता मिली है। इस संस्था का गौरवशाली इतिहास 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही भारत में हो रहे औद्योगिक विकास से जुड़ा है। एचबीटीयू ने ही अपनी तकनीक और मानव संसाधन से कानपुर को ‘एशिया का मैनचेस्टर’ और ‘औद्योगिक हब’ के रूप में पहचान दिलाई थी। उन्होंने कहा कि एचबीटीयू जैसे संस्थानों को अपने छात्रों में नवाचार और उद्यमिता की भावना पैदा करनी चाहिए।
शताब्दी वर्ष समारोह में राष्ट्रपति ने उपस्थित लोगों से कहा कि कानपुर के किसी भी शिक्षण संस्थान में जब मैं आता हूं तो मेरे मन में अपने विद्यार्थी जीवन की स्मृतियां ताजा हो जाती है, क्योंकि मेरी शिक्षा भी कानपुर में हुई है। जिस क्षेत्र में आप अपने जीवन निर्माण के आरंभिक वर्ष बिताते हैं, उस जगह से विशेष लगाव का होना स्वाभाविक भी है। आपके संस्थान के शताब्दी वर्ष के अवसर पर मैं विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में योगदान देने वाले सभी कुलपतियों और अधिकारियों, वर्तमान तथा पूर्व शिक्षकों और विद्यार्थियों को बधाई देता हूं।
आपके संस्थान का गौरवशाली इतिहास 20वीं सदी के आरंभ से ही भारत में हो रहे औद्योगिक विकास से जुड़ा हुआ है। मेनचेस्टर ऑफ द ईस्ट, लेदर सिटी ऑफ द वर्ल्ड तथा इंडस्ट्रियल हब के रूप में कानपुर को जो प्रसिद्धि मिली, उसके पीछे आपके संस्थान द्वारा उपलब्ध कराई गई टेक्नोलॉजी और मानव संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साइंस टेक्नोलॉजी, पेंट टेक्नोलॉजी, प्लास्टिक टेक्नोलॉजी तथा फूड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में किए गए योगदान के कारण ही इस विश्वविद्यालय की एक अलग पहचान रही है। इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के साथ अन्य क्षेत्रों में यहां के विद्याथियों ने सफलता के प्रभावशाली कीर्तिमान स्थापित किए हैं। वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया है।
नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा सूत्र की संस्तुति की गई
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20-20 को कार्य रूप देने के लिए एचबीटीयू समुचित प्रयास कर रहा है। नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा सूत्र की संस्तुति की गई है, इससे विद्यार्थियों में सृजनात्मक क्षमता विकसित होगी तथा भारतीय भाषाओं की ताकत और बढ़ेगी। मुझे विश्वास है कि आप सब इस शिक्षा नीति के सभी प्रमुख आयामों को लागू करेंगे तथा भारत को सुपर पावर बनाने में अपना योगदान देंगे।
विद्यार्थी बने जॉब गिवर
शताब्दी वर्ष समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि हम सब जानते हैं कि दुनिया में वही देश आगे बढ़ते हैं जो इनोवेशन और नई टेक्नोलॉजी को प्राथमिकता देकर अपने देशवासियों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए निरंतर सक्षम बनाते हैं। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत ने भी अपनी साख बढ़ाई है जिसमें अभी हमें बहुत आगे जाना है। इस संदर्भ में हरकोर्ट बटलर टेक्निकल विश्वविद्यालय की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है। हमारे देश के टेक्निकल संस्थानों को अपने विद्याथियों में अनवेषण, नवाचार और उद्यमशीलता की सोच विकसित करने के प्रयास करते रहना चाहिए। उन्हें शुरू से ही ऐसा वातावरण प्रदान करना चाहिए जिससे वह ‘जॉब सीकर’ की जगह ‘जॉब गिवर’ बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।
डिजिटल युग में युवा गढ़ रहे कीर्तिमान
राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल युग में भारत के युवा सफलता के ऐसे उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं जिसकी कुछ वर्षों पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। एक विश्लेषण के अनुसार वर्ष 1990 के बाद जन्म लेने वाले यानी 31 वर्ष से कम आयु के 13 युवा उद्यमियों ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित करके बिलेनियर क्लब में अपना स्थान बनाया है। उनमें एक 23 वर्ष का नवयुवक भी है जिसने 03 साल पहले यानी 20 साल की उम्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित अपना कारोबार शुरू किया। अब उसकी कंपनी हर महीने लगभग 300 करोड़ रुपये का डिजिटल लेन-देन करती है।
यहां उपस्थित युवाओं को यह जानकर प्ररेणा प्राप्त होगी कि भारत में 1000 करोड़ रुपये से अधिक ऐसेट वैल्यू वाले लोगों में सेल्फ मेड उद्यमियों की संख्या लगभग 65 प्रतिशत हो गई है। यानी भारत में 100 में से 65 अरबपति अपने बल पर सफल उद्यमी बन चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी टेक्नोलॉजी की सफलता तब मानी जा सकती है जब उससे समाज के सबसे पिछड़े और वंचित वर्ग भी लाभान्वित हो सकें। मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि यह यूनिवर्सिटी आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और पर्यावरण के क्षेत्रों में प्रोटोटाइप विकसित करने की दिशा में सतत प्रयत्नशील है।
एचबीटीयू के सफल पूर्व विद्यार्थियों की सूची बहुत बड़ी
एचबीटीयू के पूर्व विद्यार्थियों ने संस्थान के धेय वाक्य ‘परम तपहा:’ को चरित्रार्थ किया है तथा देश-विदेश में अपना सम्मानजनक स्थान बनाया है। लगभग 05 दशक पहले केन्द्र सरकार में मंत्री रहे केशवदेव मालवीय से लेकर आज के युग में वर्ल्ड स्मिथ जैसे आते नॉलेज पोर्टल को विकसित करने वाले अनूप गर्ग, बिजनेस लीडरशिप के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करने वाले अनिल खंडेलवाल तथा इंडियामार्ट के संस्थापक दिनेश अग्रवाल जैसे अनेक पूर्व विद्यार्थियों ने विभिन्न क्षेत्रों में इस संस्थान का गौरव बढ़ाया है।
पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष के अंतिम अरदास में पहुंचकर सीएम पुष्कर ने दी श्रद्धांजलि
यहां के पूर्व विद्यार्थी अनेक शिक्षण व शोध संस्थानों को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बलराम उपाध्याय आपके एल्युमनाई एसोसिएशन को उत्साह पूर्ण सेवा प्रदान कर रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ने वाले एचबीटीयू के सफल पूर्व विद्यार्थियों की सूची बहुत बड़ी है। अत: सभी के नाम का उल्लेख करना संभव नहीं है, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि आपका कंट्रीब्यूशन इस यूनिवर्सिटी के लिए बहुत मायने रखता है। और चांसलर महोदया ने एक बात अपने उद्बोधन में कही, उसे हमें अमल में लाना है तो कुछ ना कुछ उसमें आगे बढ़ना होगा।
समाज में भागीदारी बढ़ाने के लिए बेटियों को आगे आना होगा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैं देश भर में अनेक शिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोह में गया हूं जहां मैंने देखा है कि हमारी बेटियों का प्रदर्शन बहुत प्रभावशाली रहता है। मैंने यह भी देखा है कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आज भी हमारी बेटियों की भागीदारी संतोषजनक नहीं है। मुझे बताया गया है कि हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं का अनुपात लगभग बराबर है। बीटेक, एमटेक में छात्राओं की संख्या छात्रों की अपेक्षा कम है। आज समय की जरूरत है कि बेटियों को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी कानपुर के शताब्दी वर्ष समारोह में प्रमुख रूप से राज्यपाल तथा यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद, कुलपति प्रोफेसर शमशेर सिंह उपस्थित रहे। दो दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रपति आज शाम को सर्किट हाउस में परिचितों व विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्यों से मिलने के बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए।