नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तकनीकी खराबी के चलते अपने जियो इमेजिंग सैटेलाइट GISAT-1 की लॉन्चिंग को टाल दिया है। GISAT-1 को GSLV-F10 से 28 मार्च को अंतरिक्ष में रवाना किया जाना था।
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इसरो के अधिकारियों ने बताया है कि, सैटेलाइट में कुछ तकनीकी खराबी का पता चला है जिसके चलते इसके प्रक्षेपण कार्यक्रम को आगे बढ़ा दिया गया है। अधिकारियों के अनुसार अब इस सैटेलाइट को 18 अप्रैल को रवाना किया जाएगा।
ये दूसरा मौका है जब GISAT-1 की लॉन्चिंग को टालना पड़ा
ये दूसरा मौका है जब GISAT-1 की लॉन्चिंग को टालना पड़ा है। इस से पहले पांच मार्च को इस सैटेलाइट को चेन्नई से 100 किलोमीटर दूर स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते इसे आगे के लिए टाल दिया गया था। इसरो ने इस से पहले बताया था कि, कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन से GISAT-1 का कार्य प्रभावित हुआ था और इसी कारण इसके लॉन्च में देरी हो रही है।
अंतरिक्ष में भारत की आंख बनकर करेगा काम
इसरो के प्रमुख के सिवन ने इस से पहले बताया था कि, GISAT-1 धरती के हर भाग को बारीकी से देखने वाला देश का पहला सैटेलाइट होगा। लगभग 2,268 किलोग्राम वजन का ये सैटेलाइट धरती से 36 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में लॉन्च किया जाएगा, जो अंतरिक्ष में भारत की आंख बनकर काम करेगा।
यह एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है जो अंतरिक्ष से भारत की जमीन और उसकी सीमाओं पर नजर रखेगा और सीमा की सुरक्षा के लिए बेहद काम आएगा। के सिवन ने बताया था कि सैटेलाइट देश के जमीनी विकास और आपदा प्रबंधन में काफी मददगार साबित होगा। प्राकृतिक आपदा के समय यह सैटेलाइट कई रिजॉल्यूशन में तस्वीरें उपलब्ध कराएगा, जिससे बहुत फायदा होगा। ऐसे समय में धरती की जल्द तस्वीरें मिलने से बचाव कदम उठाने में भी आसानी हो जाएगी।