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भगवान, भक्त और संतों की होली में सराबोर हुई गोकुल की रमणरेती

मथुरा। गोकुल (Gokul) के रमणरेती आश्रम में 91वें गोपाल जयंती समारोह के चौथे दिन रविवार को होली महोत्सव (Holi) का भव्य आयोजन हुआ। इसमें राधाकृष्ण के स्वरूपों के साथ आश्रम के संस्थापक गुरु शरणानंद महाराज ने फूलों की होली खेली। इसके बाद साधु-संतों एवं श्रद्धालुओं ने जमकर होली का लुत्फ उठाया। गुरु शरणानंद महाराज ने होली को प्रेम की अनुभूति का पर्व बताते हुए कहा कि होली प्रेम रंग बहाने का पर्व है, न कि द्वेष का।

गुरु शरणानंद महाराज ने मंच पर राधा-कृष्ण के स्वरूप की आरती उतार कर होली महोत्सव का शुभारंभ किया। गुरु शरणानंद ने पहले थोड़ा सा गुलाल भगवान के स्वरूप को लगाया और उसके बाद भक्तों पर पुष्प वर्षा की गयी। इस दौरान ठाकुर रमण बिहारीजी के साथ संत एवं भक्तों ने जमकर फूलों की होली खेली। कोरोना के मद्देनजर भले ही रंगों की होली नहीं हुई, लेकिन फूलों की होली में श्रद्धालु सराबोर नजर आए। हालांकि परम्परा का निर्वहन करते हुए कुछ अबीर-गुलाल भी उड़ाया गया।

100 गोपियां बालरूप भगवान श्रीकृष्ण और बलराम संग खेलेंगी छड़ीमार होली

इस बार यहां विभिन्न प्रकार के 11 कुंतल फूल मंगाए गए थे। इसमें गुलाब, कमल, चंपा, चमेली, लिली, डाहलिया, सूरजमुखी, कनेर, गुलमोहर शामिल थे। आश्रम में पहले फूलों की होली खेली, फिर लट्ठमार होली और लड्डू मार होली का आयोजन किया गया। रमणरेती आश्रम में होली महोत्सव में शरीक होने के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे और होली के गानों पर झूमकर नाचे।

आज बिरज में होरी रे रसिया, चलो आयो रे श्याम पनघट पर, उड़त गुलाल लाल भयो बदरा, जैसे आदि गीत और रसों से आश्रम गूंज रहा था। श्रद्धालु आनंद के साथ झूमते हुए नजर आ रहे थे। इसके साथ ही ब्रज की हवा में होली की मस्ती घुल गई है।

ब्रज में 40 दिन तक खेली जाती है होली

इस होली के रंग के चटक होने की शुरुआत रमणरेती स्थित गुरु शरणानंद आश्रम में अबीर गुलाल, फूलों और लड्डुओं से मिलने वाली मिठास के साथ होने लगती है। मस्ती के साथ सराबोर कर देने वाली होली का आनंद का साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से आये श्रद्धालु लालायित रहते हैं। ब्रज में होली एक दो दिन नहीं पूरे 40 दिन तक खेली जाती है।

चालीस दिन तक खेले जाने वाली इस होली की शुरुआत भगवान बांके बिहारी मंदिर में अबीर गुलाल के साथ बंसत पंचमी से ही शुरू हो जाती है। होली के आयोजन में भगवान श्रीकृष्ण-राधा की लीलाएं जीवंत होती हैं। होली का नाम आते ही आंखों के सामने गोपियों द्वारा बरसाए जाने वाले लठ, आसमान में अबीर गुलाल के बदरा छाने लगते हैं। रविवार से होली की मस्ती चरम पर है।

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