व्यापार डेस्क. सोने और चांदी के भाव में लगातार गिरावट होती नजर आ रही है. आज गुरुवार को सोने की कीमतों में 121 रुपये की गिरावट हुई है. इसी के साथ बाजार में सोने का भाव 50,630 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है. इससे पहले सोने की कीमत 50,751 रुपये प्रति 10 ग्राम थी. सोने के साथ चांदी के भी दाम काम हुए है. आज चांदी में भी 1277 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है, जिसके बाद चांदी 60,098 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई है. इससे पहले चांदी की कीमत 61,375 रुपये प्रति किलो थी.एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने इसकी जानकारी दी है.
IGNOU: दिसंबर 2020 की TEE का शेड्यूल हुआ जारी, एग्जाम फॉर्म की तारीख बढ़ी
आज वायदा बाजार में क्या है सोने का भाव
हाजिर बाजार की कमजोर मांग के कारण कारोबारियों ने अपने सौदों की कटान की जिससे वायदा बाजार में बृहस्पतिवार को सोने का भाव 0.22 प्रतिशत की गिरावट के साथ 50,385 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में दिसंबर माह में डिलीवरी वाले सोना अनुबंध की कीमत 110 रुपये यानी 0.22 प्रतिशत की हानि के साथ 50,385 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। इस अनुबंध में 13,471 लॉट के लिये कारोबार किया गया। न्यूयार्क में सोना 0.03 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,878.60 डालर प्रति औंस रह गया।
वायदा बाजार में चांदी भी हुई कमजोर
कमजोर हाजिर मांग होने की वजह से कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को कम किया जिससे स्थानीय वायदा बाजार में बृहस्पतिवार को चांदी की कीमत 442 रुपये की गिरावट के साथ 59,696 रुपये प्रति किलो रह गयी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में दिसंबर अनुबंध के लिये चांदी का भाव 442 रुपये यानी 0.73 प्रतिशत की गिरावट के साथ 59,696 रुपये प्रति किलो रह गया। इसमें 14,949 लॉट के लिये कारोबार हुआ। वैश्विक स्तर पर, न्यूयार्क में चांदी की कीमत 0.74 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23.19 डालर प्रति औंस रह गया।
देखिए कितना गिरे सोना-चांदी
7 अगस्त 2020, ये वो दिन था जब सोने-चांदी ने एक नया रेकॉर्ड बनाया। सोने और चांदी दोनों ने ही अपना ऑल टाइम हाई छुआ। 7 अगस्त को सोने ने 56,200 रुपये प्रति 10 ग्राम का ऑल टाइम हाई का स्तर छुआ था, जबकि चांदी ने 77,840 रुपये प्रति किलो का स्तर छुआ था। सोना अब तक करीब 5000 रुपये प्रति 10 ग्राम गिरा है, जबकि चांदी करीब 15 हजार रुपये प्रति किलो तक गिर चुकी है।
क्या सोना कोरोना काल से पहले की स्थिति में लौट आएगा?
कोरोना वायरस की वजह से शेयर बाजार में एक तगड़ी गिरावट देखने को मिली थी। समय बीतने के साथ-साथ शेयर बाजार उस तगड़ी गिरावट से लगातार उबर रहा है। दुनिया भर के अधिकतर शेयर बाजार कोरोना की वजह से आई गिरावट से मजबूती से लडते हुए रिकवर कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सोना (today gold price) अपना ऑल टाइम हाई छू कर वापस आ चुका है। आए दिन सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। अब सवाल ये उठता है कि क्या सोना भी कोरोना काल से पहले वाली स्थिति में लौट आएगा, क्योंकि ये ट्रेंड देखा गया है कि शेयर बाजार मजबूत होता है तो सोना कमजोर होता है और इसका उल्टा भी होता है। तो क्या सोना अभी और सस्ता होगा, क्योंकि जनवरी में सेंसेक्स 41 हजार के करीब था, तब सोने की कीमत भी 41 हजार के करीब थी।
एक्सपर्ट्स की मानें तो जारी रहेगा उतार-चढ़ाव
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सविर्सिज के जिंस शोध के उपाध्यक्ष नवनीत दमानी कहते हैं कि सोना ऊंचाई से गिरकर 50 हजार रुपये के दायरे में आया है, जबकि चांदी 60 हजार रुपये के दायरे में आ चुकी है। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में भी उतार चढ़ाव जारी रह सकता है। केडिया कैपिटल के डायरेक्टर अजय केडिया मानते हैं कि स्टिमुलस पैकेज ने शेयर बाजारों के लिए स्टेरॉयड का काम किया। इसी की वजह से शेयर बाजार में तेजी आई है, लेकिन इसे नेचुरल नहीं कहा जा सकता।
सोना सस्ता होगा या महंगा?
सोने में गिरावट की एक बड़ी वजह है पिछले 2 महीनों में रुपये में आई मजबूती। अभी रुपये 73-74 रुपये प्रति डॉलर तक मजबूत हो चुका है, जो कुछ महीने पहले 76-77 रुपये प्रति डॉलर तक कमजोर हो गया था। अगर फिर से डॉलर मजबूत होता है तो सोने में लॉन्ग टर्म में फिर से मजबूती देखने को मिलेगी और डॉलर का फिर से मजबूत होना लगभग तय ही है। यानी सोना अगले साल तक 60-70 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है।
एक नजर सोने और सेंसेक्स की तुलना पर
24 फरवरी 2020 को सोना 41 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर था जबकि सेंसेक्स 40,363 के स्तर पर था। 15 मई तक सोना 47 हजार से भी ऊपर पहुंच गया, जबकि सेंसेक्स गिरकर 27,500 के करीब आ गया। कोरोना काल के दौरान 7 अगस्त को सोने ने 56,254 रुपये प्रति 10 ग्राम का ऑल टाइ हाई छू लिया, जबकि सेंसेक्स भी काफी रिकवर होकर 37,600 के स्तर पर पहुंच गया। 30 सितंबर तक सोना गिरकर 50,400 के करीब पहुंच गया है, जबकि सेंसेक्स अभी भी 38 हजार के दायरे में है।
इस बार फेस्टिव सीजन में भी कम रहेगी मांग
अक्टूबर-नवंबर के दौरान अमूमन सोने की मांग काफी बढ़ जाती है। इसकी वजह है फेस्टिव सीजन का आना। दिवाली के करीब सोना हमेशा चमकता है, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार लोगों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है, जिसका सीधा असर सोने की मांग पर पड़ा है। मुंबई के एक गोल्ड डीलर का कहना है कि इस बार फेस्टिव सीजन के दौरान भी मांग कम ही रहने का अनुमान है, क्योंकि कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं।
कोरोना काल में सोना बना वरदान
सोना गहरे संकट में काम आने वाली संपत्ति है, मौजूदा कठिन वैश्विक परिस्थितियों में यह धारणा एक बार फिर सही साबित हो रही है। कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक संकट के बीच सोना एक बार फिर रिकॉर्ड बना रहा है और अन्य संपत्तियों की तुलना में निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर विकल्प साबित हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि उतार-चढ़ाव के बीच सोना अभी कम से कम एक-डेढ़ साल तक ऊंचे स्तर पर बना रहेगा। दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल का मानना है कि कम एक साल तक सोना उच्चस्तर पर रही रहेगा। वह कहते हैं कि संकट के इस समय सोना निवेशकों के लिए ‘वरदान’ है। गोयल मानते हैं कि दिवाली के आसपास सोने में 10 से 15 प्रतिशत तक का उछाल आ सकता है।
मुसीबत की घड़ी में हमेशा बढ़ी है सोने की चमक!
सोना हमेशा ही मुसीबत की घड़ी में खूब चमका है। 1979 में कई युद्ध हुए और उस साल सोना करीब 120 फीसदी उछला था। अभी हाल ही में 2014 में सीरिया पर अमेरिका का खतरा मंडरा रहा था तो भी सोने के दाम आसमान छूने लगे थे। हालांकि, बाद में यह अपने पुराने स्तर पर आ गया। जब ईरान से अमेरिका का तनाव बढ़ा या फिर जब चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति बनी, तब भी सोने की कीमत बढ़ी।