ईसाई धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक ‘गुड फ्राइडे’ इस बार 02 अप्रैल को है। इस त्योहार को लोग शोक की तरह मनाते हैं। दरअसल, इस दिन ईसाइयों के गुरु ईसा मसीह को तमाम शारीरक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था।
कहा जाता है कि यीशू ने शुक्रवार के दिन ही मानवता की भलाई और रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि दी थी, इसलिए इसे गुड फ्राइडे कहा जाता है। गुड फ्राइडे को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
कहीं इसे ‘होली फ्राइडे’ कहा जाता है तो कहीं ‘ब्लैक फ्राइडे’ और ‘ग्रेट फ्राइडे’ नाम से इस त्योहार को मनाया जाता है।
6 घंटे तक सूली पर लटके रहे थे यीशू
ईसाई धर्म के मुताबिक, ईसा मसीह परमेश्वर के बेटे हैं। यीशू को अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था। उस समय यहूदियों के कट्टरपंथी रब्बियों (धर्मगुरुओं) ने यीशू का विरोध किया था। दरअसल, यीशू के उपदेशों से प्रभावित होकर लोगों ने उन्हें ईश्वर मानना शुरू कर दिया। ये देख धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरु उनसे चिढ़ने लग गए थे। फिर उन्होंने यीशू की शिकायत रोम के शासक पिलातुस से कर दी। इसके बाद पिलातुस ने कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए यीशू को क्रॉस पर लटकाकर जान से मारने का आदेश दे दिया। बावजूद इसके यीशू ने अपने हत्यारों की उपेक्षा नहीं की बल्कि उन्होंने प्रार्थना करते हुए कहा था, ‘हे ईश्वर! इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।’
यीशू को कोड़ें-
चाबुक बरसाने और कांटों का ताज पहनाने के बाद कीलों से ठोकते हुए सूली पर लटका दिया था। बाइबिल में बताया गया है कि यीशू को पूरे 6 घंटे तक सूली पर लटकाया गया था। जिस जगह उन्हें सूली पर चढ़ाया था, उसका नाम ‘गोलगोथा’ है। सूली पर लटकाने के तीन दिन बाद यानी रविवार को यीशू फिर से जीवित हो गए थे और इस खुशी में ‘ईस्टर संडे’ मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे
ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले से उपवास रखना शुरू कर देते हैं और अपने घरों में प्रार्थना करते हैं। इस व्रत के दौरान सिर्फ शाकाहारी खाना ही खाया जाता है। गुड फ्राइडे की सुबह लोग चर्च जाते हैं और यीशू को याद कर प्रार्थना करते हैं। लेकिन इस दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता है। इस दिन सिर्फ लकड़ी के खटखटे से आवाज की जाती है। साथ ही लोग इस दिन प्रभु यीशू के प्रतीक माने जाने वाले क्रॉस को भी चूमते हैं।