विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते थे, लेकिन पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर ज़्यादातर बंद रहा। लॉकडाउन में ढील के समय में छूट मिली भी, तो भी यात्रा आदि से जुड़े प्रतिबंधों और गाइडलाइनों के चलते श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम ही दिखाई दी। दूसरी लहर में तो मंदिर को पूरी तरह श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया था। श्रद्धालुओं के साथ पुजारियों पर भी संकट रहा। इन तमाम विषम स्थितियों के बाद अब खुशखबरी यह है कि इस मंदिर को दोबारा खोल दिया गया है।
जागेश्वर मंदिर समिति के प्रबंधक भगवान भट्ट ने बताया कि मंगलवार से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खुल गया। हालांकि मंदिर को चरणबद्ध ढंग से खोला जाएगा इसलिए पहले चरण में सिर्फ दर्शन की ही अनुमति होगी। मंदिर में आनलाइन पूजा की व्यवस्था की जा रही है और साथ ही, धाम में पहुंचने वाले भक्तों के लिए एक स्पष्ट गाइडलाइन भी तय की गई है। यानी अब आपको इस मंदिर में पहुंचने पर कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा।
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पहले चरण में व्यवस्था के तहत मंदिर के गेट पर आपको पहचान पत्र दिखाने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। दर्शन के लिए सुबह 7 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक का समय तय किया गया है। मंदिर में पुजारियों से श्रद्धालु कोई संपर्क नहीं कर सकेंगे। टीका लगाने या जल चढ़ाने आदि की भी मनाही है। इन गाइडलाइनों के बाद जानिए कि पुजारियों का दुखड़ा क्या है।
पुजारी हरी मोहन भट्ट ने बताया कि पिछले तीन महीने से मंदिर बंद होने के कारण पुजारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया था। साथ ही स्थानीय लोगों का रोज़गार भी बुरी तरह से ठप हुआ था। वजह यही है कि जागेश्वर क्षेत्र का व्यवसाय पर्यटन से ही जुड़ा रहता है। वर्ष भर पर्यटकों के आने से पुजारियों के साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोज़गार मिलता है।
जागेश्वर मंदिर की मान्यता के चलते सावन के महीने में भगवान शंकर को जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। पहले चरण में दर्शन के लिए मंदिर को खोलने के बाद बताया जा रहा है कि अगर जल्द ही कोविड संक्रमण को लेकर स्थितियां काबू में रहीं तो मंदिर में पूजा अर्चना भी विधिवत शुरू की जाएगी।