नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। दुनियाभर में अब तक 6 लाख से अधिक लोगों की इसके संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है, जबकि अब तक 1 करोड़ 44 लाख से अधिक केस सामने आ चुके हैं।
अब इस बीच ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में सफलता मिलती दिखाई दे रही है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन ट्रायल में सुरक्षित और इम्यून को मजबूत करने में सफल साबित हुई है। इस वैक्सीन के नतीजे बेहद उत्साहजनक मिले हैं।
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन के परीक्षण में करीब 1,077 लोगों को शामिल किया था और पाया कि जिन्हें वैक्सीन दी गई उनमें एंटीबॉडी और व्हाइट ब्लड सेल्स बने जो कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम थे।
अभी इसका बड़े पैमाने पर ट्रायल होना है। ब्रिटेन ने पहले ही वैक्सीन की 10 करोड़ डोज सुरक्षित (डील) कर ली हैं। भारत में भी इस वैक्सीन का उत्पादन किया जा रहा है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का उत्पादन करने का काम सौंपा गया है।
कोरोना वायरस की वैक्सीन की दौड़ में फिलहाल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन सबसे आगे हैं। एक तरफ जहां कई वैक्सीन अपने अंतिम चरण या एडवांस स्टेज में पहुंचने वाली हैं, जबकि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन इस चरण में पहले से ही पहुंच चुकी है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार ये वैक्सीन सितंबर तक लोगों के लिए आ जाएगी।
ऑक्सफोर्ड की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट की कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में अहम भूमिका रही है। इस वैक्सीन के तीसरे और फाइनल स्टेज का भी नेतृत्व सारा गिल्बर्ट कर रही हैं। गिल्बर्ट का दावा है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोरोना वायरस से लोगों को बचाने में 80 प्रतिशत तक प्रभावी है। गिल्बर्ट ने दावा किया है कि लोगों को ठंड के मौसम में वायरस की मार नहीं झेलनी पड़ेगी, क्योंकि ये वैक्सीन सितंबर तक आ जाएगी।
कई वैक्सीन अपने अंतिम चरण में पहुंचने वाले हैं जबकि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन 10,000 लोगों पर अपना आखिरी ट्रायल खत्म करने वाली है। वैक्सीन टास्कफोर्स की अध्यक्ष केट बिंघम ने बताया कि ये वैक्सीन पूरी दुनिया में सबसे आगे है और ये किसी भी वैक्सीन से सबसे ज्यादा एडवांस है।