नई दिल्ली। वर्ष 2022 दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court ) के लिए मिलाजुला रहा। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस वर्ष एक तरफ जहां हाई प्रोफाइल राजनीतिक मामलों की सुनवाई की वहीं वैवाहिक दुष्कर्म पर विभाजित फैसला, गर्भ गिराने के महिलाओं के अधिकार, व्हाट्स एप की निजता पॉलिसी के अलावा चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो के खिलाफ ईडी केंद्र सरकार की बहुचर्चित अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।
आइए दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court ) के दस बड़े फैसलों पर डालते हैं नजर-
1. दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 16 दिसंबर को शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग की ओर से लगाई गई रोक को हटाने को लेकर उद्धव ठाकरे की अर्जी को खारिज कर दिया था। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग नियमों के मुताबिक इस मामले पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है और इसमें कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं बनता है। उद्धव ठाकरे ने सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी। 15 नवंबर को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने ने उद्धव ठाकरे की याचिका खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे की ओर से निर्वाचन आयोग के आदेश का विरोध करते हुए कहा गया था कि उन्होंने तीस साल तक शिवसेना चलाई है लेकिन आज अपने पिता के नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
2. दिल्ली सरकार और दिल्ली के उप-राज्यपाल के बीच विवाद के कई मामलों पर हाई कोर्ट ने सुनवाई की। 23 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव सिद्धार्थ राव की बर्खास्तगी को सही करार देते हुए जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने कहा कि उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की अनुमति के बिना दिल्ली विधानसभा में स्पीकर द्वारा की गई नियुक्ति व पदोन्नति अवैध और अनियमिततापूर्ण है। 27 सितंबर को हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को उप-राज्यपाल और उनके परिवार के खिलाफ झूठे आरोप लगाने वाले पोस्ट को हटाने का आदेश दिया था। जस्टिस अमित बंसल ने ये अंतरिम आदेश दिया। उप-राज्यपाल ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले बयान दिए। आप नेताओं ने उप-राज्यपाल सक्सेना पर खादी ग्रामोद्योग आयोग का चेयरमैन रहते हुए 2016 में नोटबंदी के समय भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। सक्सेना ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को ऐसे आरोप लगाने से रोकने की मांग की है।
3. एक दूसरे हाईप्रोफाइल राजनीतिक मामले में 29 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेट्टा डिसूजा को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी के गोवा के बार लाइसेंस विवाद मामले से संबंधित ट्वीट तुरंत हटाने का निर्देश दिया था। जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच ने चेतावनी दी थी कि अगर 24 घंटे के भीतर ट्वीट नहीं हटाया गया तो सोशल मीडिया कंपनी अपनी ओर से ट्वीट हटाए। स्मृति ईरानी ने दिल्ली हाईकोर्ट में तीनों कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दीवानी मानहानि याचिका दायर कर दो करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है। ये मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है।
4. दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 मई को दिल्ली सरकार की घर-घर राशन भेजने की योजना पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहे तो घर-घर राशन भेजने की दूसरी योजना ला सकती है लेकिन वह केंद्र की ओर से घर-घर राशन योजना के अनाज का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया था।
5. दिल्ली हाई कोर्ट ने मार्च महीने में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से की गई तोड़फोड़ के मामले पर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हमने वीडियो देखा है। वो अराजक भीड़ थी। कैमरे तोड़ दिए गए थे। लोगों ने गेट पर चढ़कर उसे पार करने की कोशिश की थी। भीड़ ने कानून अपने हाथ में ले लिया था। कोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री आवास पर पुलिस बंदोबस्त भी मजबूत नहीं थी।
6. दिल्ली हाई कोर्ट ने 11 मई को वैवाहिक दुष्कर्म के मामले पर विभाजित फैसला दिया था। जस्टिस राजीव शकधर ने जहां भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को असंवैधानिक करार दिया है वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने इसे सही करार दिया है। जस्टिस राजीव शकधर ने कहा था कि ये विवाहित महिला के साथ न्याय नहीं होगा कि भारतीय दंड संहिता के लागू होने के 162 वर्षाें के बाद भी उसकी नहीं सुनी जाए।
7. दिल्ली हाई कोर्ट ने 6 दिसंबर को 26 वर्षीय एक विवाहित महिला के 33 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति देते हुए कहा था कि भ्रूण हटाने को लेकर महिला की इच्छा और भ्रूण का स्वास्थ्य सबसे बड़ा मापदंड है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया। हाई कोर्ट ने एक दूसरे मामले में 16 वर्षीय एक दुष्कर्म पीड़ित के 28 हफ्ते के भ्रूण को भी हटाने का आदेश दिया था।
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8. दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 25 अगस्त को व्हाट्स एप की नई प्राइवेसी पॉलिसी की प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने जांच को चुनौती देने वाली व्हाट्स एप और उसकी मूल कंपनी फेसबुक (मेटा) की याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसके पहले सिंगल बेंच ने भी व्हाट्स एप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दिया था।
9. व्यावसायिक मामलों पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो से जुड़े 12 कंपनियों के फ्रीज बैंक खातों को आपरेट करने की अनुमति दे दी है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि ये कंपनियां अपने बैंक खातों में हमेशा उतनी रकम रखेंगी जितना छापे के समय पाया गया था। कोर्ट ने इन कंपनियों को निर्देश दिया कि वे इन खातों से धन भेजने के 48 घंटे के अंदर ईडी को उसकी सूचना देंगे। 5 जुलाई को ईडी ने मनी लांड्रिंग के मामले में वीवो के अनेक ठिकानों पर छापा मारा था और कई बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था। ईडी वीवो कंपनी के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जांच कर रही है।
10. दिल्ली हाई कोर्ट केंद्र की बहुचर्चित अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन मामलों में हाई कोर्ट ने 15 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि अग्निवीर का कैडर बिल्कुल अलग है और भारतीय सेना की दी गई उनकी चार साल की सेवा को रेगुलर सर्विस नहीं माना जाएगा। चार साल पूरा होने के बाद अगर कोई अग्निवीर सेना में ज्वाइन करता है तो उसकी नियुक्ति को नई नियुक्ति मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को अपने पास और दूसरे हाई कोर्ट में लंबित केस दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।








