गूगल ने पूर्व अफगानिस्तान सरकार के तमाम ईमेल अकाउंट्स को लॉक कर दिया है। अब तालिबान आतंकी इन अकाउंट्स में मौजूद जानकारी हासिल नहीं कर पाएंगे। 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल के साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद कई रिपोर्ट्स ऐसी आईं थीं जिनमें कहा गया था कि तालिबान अशरफ गनी सरकार के दौर में हुई संवेदनशील जानकारियां अलग-अलग स्रोतों से जुटा रहे हैं। इससे दो तरह के खतरे थे। पहला- दुनिया के कई देशों से साझा की गई जानकारी आतंकियों के हाथ लग सकती थी। दूसरा- अफगानिस्तान में मौजूद कुछ आला अफसरों या खुफिया अधिकारियों की जानकारी तालिबान को मिल सकती थी और इससे उनकी जान को खतरा हो सकता था।
गनी सरकार के दौर में अफगानिस्तान के कई देशों से काफी करीबी रिश्ते थे। इनमें भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन भी शामिल थे। तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इन डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को हासिल करने की कोशिश कर रहा था। पश्चिमी देशों को इसकी भनक लग चुकी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जानकारी को लीक होने से बचाने के लिए गूगल ने तमाम ईमेल अकाउंट्स को ही लॉक कर दिया, ताकि किसी देश को नुकसान न हो और यह संवेदनशील जानकारी तालिबान या उसके मददगार साथी देशों तक न पहुंचे।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान पूर्व अफगान सरकार के कर्मचारियों से जुड़ा डाटा जुटाने की कोशिश कर रहा था। इसमें उनकी सैलरी और बाकी जानकारियां थीं। इस बात की आशंका थी कि अगर तालिबान यह डाटा एक्सेस कर लेता है तो पूर्व कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। लिहाजा, ये अकाउंट्स ही लॉक कर दिए गए हैं। गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक ने भी एक बयान में इस बात की पुष्टि कर दी है कि पूर्व अफगान सरकार के सभी अकाउंट्स लॉक कर दिए गए हैं।
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पूर्व अफगान सरकार में अधिकारी रह चुके एक अफसर ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में माना कि तालिबान डिजिटल डाटा जुटाने की पूरी कोशिश कर रहा है। इस अफसर से तालिबान ने डाटा सुरक्षित रखने को भी कहा था। इसके बाद से यह अफसर छिपता फिर रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 साल से डिजिटल एक्सचेंज हो रहा था, इसलिए हर तरह का सरकारी डाटा काफी है। तालिबान लोकल सर्वर पर भी कब्जा जमाना चाहता है। ईमेल अकाउंट्स के अलावा उसकी नजर फाइनेंस, इंडस्ट्री, हायर एजुकेशन और माइनिंग मिनिस्ट्री पर सबसे ज्यादा है। कबीलों से जुड़ी जानकारी भी उसके हाथ लग सकती थी। सिक्योरिटी एक्सपर्ट चाड एंडरसन ने इसे डिजिटल खजाना बताया है और गूगल के कदम को बिल्कुल सही करार दिया है।
माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प्स की ईमेल सर्विस भी कुछ मंत्रालयों में इस्तेमाल की गई थी। अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि क्या माइक्रोसॉफ्ट ने भी गूगल की तर्ज पर डाटा और अकाउंट्स प्रिजर्व किए हैं या नहीं।