उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण नियंत्रण तथा वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गोरखपुर मॉडल अपनाएगा। खासकर यूपी के 10 लाख से अधिक आबादी वाले 17 नॉन अटेनमेण्ट शहरों में इसे लागू किया जाएग। शीत ऋतु में इस कार्ययोजना पर अमल शुरू हो जाएगा। परिषद ने इसे लागू करने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है।
आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि गोरखपुर में वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए उठाए गए कदमों का बेहतरीन रिजल्ट सामने आया है। अभी हाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदूषण नियंत्रण परिषद को वायु सुधार के लिए गोरखपुर में अपनाए गए मॉडल को यूपी के नॉन अटेनमेण्ट शहरों में लागू किए जाने के निर्देश दिए थे। गोरखपुर में नगर निगम, वन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए हाइवे निर्माण, सड़क चौड़ीकरण, पार्किंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, एण्ड-टू-एण्ड पेविंग आफ दि रोड, हाट स्पाट प्रबन्धन जैसी ढांचागत परियोजनाओं को कुशल व रणनीतिक तरीके से लागू किया।
स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए जनसंख्या का स्थिरीकरण अत्यन्त आवश्यक : योगी
इसके बेहतरीन परिणाम भी देखने को मिले गोरखपुर में 2020-21 में वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ और अच्छी वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके बाद इस रणनीति को रायबरेली व खुर्जा में भी लागू किया गया। वहां पर भी वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। नवम्बर से इस रणनीति को नॉन अटेनमेण्ट शहरों में लागू करने की तैयारी है।
उन्होने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का डस्ट एप पोर्टल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सभी निर्माण परियोजनाओं को अनिवार्य रूप से डस्ट कंट्रोल सेल्फ आडिट अपलोड करना होगा। इसके बाद बोर्ड संबंधित विभागों की संयुक्त टीमों के जरिए इनका क्रास आडिट कराएगी। इसके अलावा सड़क की धूल को वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण माना गया है। इसे कम करने के लिए परिवहन के दौरान निर्माण सामग्री की यांत्रिक सफाई, छिड़काव और कवरिंग किए जाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।