नई दिल्ली। हरियाणा के बहादुरगढ़ में कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से नाराज है। एक किसान ने फांसी लगा ली है। किसान ने सेक्टर-9 बाईपास के पार्क में पेड़ से लटककर जान दे दी है। किसान की पहचान जींद के सिंघवाल गांव के कर्मबीर के तौर पर हुई है। मृतक कर्मबीर के पास से एक सुसाइड नोट मिला है।
सुसाइड नोट पर लिखा है कि सरकार तारीख पर तारीख दे रही है। पता नहीं कब ये काले कानून रद्द होंगे। जब तक काले कानून रद्द नही होंगे। तब तक यहां से नहीं जाएंगे। उधर, पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल भिजवा दिया है। परिजनों के आने के बाद उनके बयान दर्ज होंगे।
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दो और किसानों की मौत
टीकरी बॉर्डर पर ही दो और किसानों की मौत की खबर है। इनमें एक किसान पंजाब के संगरूर और दूसरा मोगा जिले का रहने वाला था। हालांकि अभी मौत की वजह की पुष्टि नहीं हुई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि हार्ट अटैक से दोनों की जान गई है। मृतकों में एक की आयु 60 और दूसरे की 70 साल थी।
मानसा और जींद के किसान की गई जान
पंजाब के रहने वाले एक किसान की मौत नया गांव चौक के नजदीक बस की चपेट में आने से हुई है। तो वहीं जींद जिले के रहने वाले एक किसान की हृदयाघात से मौत होने की आशंका जताई गई है। पुलिस ने दोनों के शव परिजनों को सौंप दिए हैं।
पंजाब के मानसा जिले के गांव बाघड़ा के रहने वाले किसान बबली सिंह टीकरी बार्डर पर चल रहे आंदोलन में शामिल थे। वह बहादुरगढ़ बाईपास पर नया गांव चौक के नजदीक किसानों के जत्थे में ठहरे थे। दो फरवरी को आंदोलन में हिस्सा लेने बहादुरगढ़ आए थे।
शुक्रवार की दोपहर बाद बबली अपने साथी किसान मेजर सिंह के साथ लंगर का सामान लेने जा रहे थे। जब वे नया गांव चौक के पास सड़क पार कर रहे थे। तो इसी दौरान बादली की तरफ से आ रही बस की चपेट में आ गए। घटना में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए बहादुरगढ़ के नागरिक अस्पताल लाया गया था, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया है।
जींद के गांव मोहनगढ़ के किसान रणधीर सिंह की अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। बताया गया है कि रणधीर सिंह तीन सप्ताह से टीकरी बार्डर पर लगभग हर रोज किसानों की सभा में भाग लेते थे। रणधीर सिंह की मौत की असल वजह का अभी पता नहीं लग पाया है। हृदयाघात होने का अनुमान लगाया है।