उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बुधवार को कहा कि अहंकार में चूर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को हठधर्मिता त्याग कर हाड़ कंपाती ठंड में सड़कों पर डटे किसानो की जायज मांगों को अविलंब स्वीकार करना चाहिये।
श्री लल्लू ने जारी बयान में कहा कि लगातार 14 दिनों से पूरे देश का लाखों-लाख अन्नदाता किसान देश की राजधानी के बार्डर पर इन हाड़ कंपाती सर्दी में खुले आसमान में सड़कों पर पड़ा हुआ है और अपनी जान गंवा रहा है। सरकार अपने अहंकार से बाहर आने को तैयार नहीं है और अपनी हठ पर अड़ी है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि देश के अन्नदाता किसानों की मांगों को तुरन्त सरकार स्वीकार करे।
उन्होने कहा कि 16 जिलों के संगठन सृजन अभियान के तहत अपने दौरे के दौरान न्याय पंचायत स्तर के किसानों से बात करने के उपरान्त एक बात समान रूप से उभर कर आयी कि प्रदेश के किसी भी जिले में किसानों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं की जा सकी है। परिणामस्वरूप किसानों को अपनी खून पसीने से तैयार उपज को औने-पौने दामों पर एमएसपी से बहुत कम दामों पर बिचैलियों के हाथों बेंचने के लिए विवश होना पड़ा।
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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि गन्ना पेराई सत्र शुरू हुए एक माह से अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (वर्ष 2020-21) घोषित नहीं किया गया जिसके चलते किसानों को भारी लागत लगाने के बाद अपनी फसल नुकसान में बेचना पड़ रहा है। 450 रूपये प्रति कुन्तल का वादा करके जनता के विशाल समर्थन से सत्ता में आयी भाजपा सरकार कार्यकाल के चार वर्ष पूरा करने जा रही है और अभी तक किसानों को मात्र अपनी लागत का आधा मूल्य ही मिल पा रहा है। सरकार तुरन्त 450 रूपये प्रति कुन्तल गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित करे।
उन्होने कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते किसानों की लागत दो गुने से अधिक बढ़ चुकी है जहां लगभग 80 रूपये डीजल के दाम बढ़ चुके हैं, बिजली का दाम पहले के मुकाबले दुगुने से अधिक बढ़ चुका है जिसमें तीन, साढ़े तीन हार्स पावर, 7 एवं 10 हार्स पावर के पम्पिंग सेट चलाने वालों के बिल का रेट एक समान कर दिये गये हैं जिससे 80 प्रतिशत किसानों पर बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा है। इसी प्रकार उर्वरक, कीटनाशक आदि के दाम दूने से अधिक हो गये हैं। ऐसे में लागत दूनी और आधे दामों पर उपज का मूल्य मिलना किसानों के साथ घोर अत्याचार है।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने चुनाव से पूर्व अपने हर मंच पर सत्ता आने पर 14 दिनों के अन्दर गन्ना मूल्य बकाये के भुगतान और भुगतान न हो पाने की स्थिति में बकाये पर ब्याज सहित भुगतान का वादा किसानों से किया था परन्तु स्थिति ढाक के तीन पात जैसी बनी हुई है। अभी तक पिछला गन्ना मूल्य बकाया लगभग 8447 करोड़ रूपये बकाया है। जिसमें कई चीनी मिले ऐसी हैं जहां किसानों का 80 प्रतिशत तक गन्ना मूल्य अभी तक बकाया है।