उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार संस्कृत विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए कटिबद्ध है और इसके लिये हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रादेशिक संस्कृत शिक्षक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए डा शर्मा ने शनिवार को यहां कहा कि संस्कृत शिक्षकों के खाली पदों पर सेवानिवृत्त शिक्षकों की निश्चित मानदेय पर नियुक्ति का प्राविधान किया है। साथ ही अभियान चलाकर पारदर्शी तरह से संस्कृत विद्यालयों में शिक्षको की नियुक्ति प्रक्रिया को लगभग पूरा किया है। यूपी की यह पहली सरकार है जिसने संस्कृत को प्रोत्साहन के लिए संस्कृत निदेशालय के गठन की घोषणा के साथ ही इसके लिए धनराशि भी जारी कर दी है। संस्कृत शिक्षा परिषद के नए भवन का निर्माण आरंभ हो चुका है। तदर्थ शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार चिन्तनशील है।
उन्होंने कहा कि यूपी में 2016 के पूर्व शिक्षा व्यवस्था खस्ताहाल थी। नकल माफिया पैदा हो गए थे तथा नकल के ठेके उठते थे। एक व्यक्ति के स्थान पर दूसरा व्यक्ति परीक्षा देता था। नकल एक उद्योग का रूप ले चुका था पर वर्तमान सरकार ने सत्ता में आते ही नकल पर रोक लगाने का काम किया है। नकलविहीन परीक्षा देश के लिए माडल बनी है। परीक्षा में लगने वाले समय में भी कमी आई है।
डा शर्मा ने कहा कि आज के समय में आधुनिकता को अपनाने के साथ ही देश की संस्कृति एवं परम्पराओं को सहेजना जरूरी है। अपनी संस्कृति को भूलना कष्टदायक है। समय के बदलाव के साथ व्यवस्थाएं भी बदली हैं। हमारी व्यवस्था में भारत की संस्कृति का निवास है। आज पाश्चात्य संस्कृत से प्रभावित शहरी संस्कारों का प्रभाव गांवों पर होने लगा है। गांव की परम्पराएं टूट रही है। त्योहारों पर मिलने का स्थान आज एसएमएस ने ले लिया है। परम्पराओं के पीछे छिपे कल्याण और स्नेह के भाव समाप्त हो रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में गांवों से शहरों की ओर पलायन हो रहा है। यह पलायन हमारी संस्कृति को भी प्रभावित कर रहा है। शहर में आने वाले लोग अपने बच्चों में अग्रेजी संस्कार का समावेश कराने की होड में जुटे हैं जिसका विपरीत प्रभाव घर के बुजुर्गो पर पड रहा है। संयुक्त परिवार की परम्पराएं विलुप्त हो रही हैं। परिवार के सदस्यों के बीच में आत्मीयता में कमी आ रही है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की संस्कृति एक दर्शन है जबकि पाश्चात्य संस्कृति प्रदर्शन मात्र है। इस दर्शन एवं महान परम्परा को भूलना नहीं है। अपनी संतान को अच्छा बनाने के पूर्व खुद भी एक अच्छी संतान बनना होगा। महिलाओं को संस्कृति और परम्पराओं को सहेजने की जिम्मेदारी निभानी होगी। ऋषि मुनियों की पावन भूमि नैमिष का संदेश पूरी दुनिया में जाता है इस लिए यहां का संदेश जाति सम्प्रदाय ऊपर उठकर होना चाहिए।