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आखिर क्यों सरकार के नाम होगी जौहर यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर ज़मीन, जानिए पूरा मामला

jauhar university

रामपुर। सपा सांसद मोहम्मद आजम खान को एक और बड़ा झटका लगा है। जौहर ट्रस्ट द्वारा जौहर यूनिवर्सिटी के लिए खरीदी गई करीब 70 हेक्टेयर जमीन शासनादेश के उल्लंघन की जद में आ गई है।

अपर जिलाधिकारी प्रशासन जगदंबा प्रसाद गुप्ता की कोर्ट ने जौहर विश्वविद्यालय की यह जमीन राज्य सरकार में निहित करने का फैसला सुनाया है। साथ ही एसडीएम सदर को जमीन पर कब्जा लेकर इसे इंद्राज कराने का आदेश दिया है।

जौहर ट्रस्ट के नाम पर 2005 से लेकर अब तक लगभग 75.005 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी। उस समय मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी सरकार की कैबिनेट के फैसले में जौहर ट्रस्ट द्वारा खरीदी जाने वाली जमीन पर स्टांप शुल्क से छूट दी गई थी। जिसमें ट्रस्ट के नाम पर जो 70.005 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई उसके लिए स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं किया गया था। कैबिनेट से जो प्रस्ताव पास हुआ था उसमें शर्त थी कि ट्रस्ट की ओर से लोकहित से जुड़े कार्य कराना होंगे। जिसमें अल्पसंख्यक, गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना होगी।

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करीब साल भर पहले डीएम के आदेश पर एसडीएम सदर पी पी तिवारी ने जौहर ट्रस्ट की जमीन की जांच की। जिसमें पाया गया कि जौहर ट्रस्ट ने जौहर विश्वविद्यालय के लिए खरीदी 70.005 हेक्टेयर जमीन में शासन की शर्तों का उल्लंघन किया है जिसमें पिछले 10 सालों में चैरिटी का कोई कार्य न होने की बात भी सामने आई है जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ट्रस्ट को एक सीमा के तहत ही जमीन आवंटित की जा सकती है, लेकिन इस मामले में नियम कायदों का उल्लंघन किया गया। जिसके बाद एडीएम कोर्ट में वाद दायर कराया गया जबकि जौहर ट्रस्ट की ओर से उनके अधिवक्ता ने दलील दी थी कि आरोप निराधार हैं।

जब की डीजीसी रेवेन्यू अजय तिवारी ने एसडीएम की जांच को कोर्ट में सही करार दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद शनिवार को इस मामले में एडीएम जगदंबा प्रसाद गुप्ता की कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया।जिसमें जौहर ट्रस्ट की 70.005 हेक्टेयर जमीन सरकार में निहित करने का आदेश दिया गया है और कोर्ट ने एसडीएम सदर को आदेश के अनुपालन के लिए कहा है।

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डी जे सी रेवेन्यू अजय तिवारी ने बताया कि जौहर यूनिवर्सिटी ने नियमों की अनदेखी करते हुए करीब 70 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खरीदी थी।जबकि अनुमति सिर्फ 12.5 एकड़ जमीन खरीदने की थी।जिस पर एडीएम कोर्ट ने जौहर ट्रस्ट को नियमों का पालन न करने का दोषी मानते हुए फैसला सुनाया है। कहा कि अब तहसील के अभिलेखों में यह भूमि आज़म खान की जौहर ट्रस्ट से काटकर प्रदेश सरकार के नाम पर दर्ज की जाएगी।

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