राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ब्राउन हाल में राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर आयोजित रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया।
इस मौके पर राज्यपाल ने राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि यह दिवस हम सभी को अधिक से अधिक स्वैच्छिक रक्तदान की प्रेरणा देता है। उन्होंने रक्तदान को सम्मान कार्यक्रम में उपस्थित स्वैच्छिक रक्तदान करने वाली समस्त संस्थाओं, स्वैच्छिक रक्तदाताओं, प्लाज्मादाताओं तथा उत्प्रेरकों को धन्यवाद दिया, जिन लोगों ने रक्तदान एवं प्लाज्मा दान कर रोगियों की जान बचाने में सहयोग किया।
राज्यपाल ने कहा कि आज समय की आवश्यकता है कि समस्त कॉलेज अपने छात्रों को रक्तदान के साथ-साथ अंगदान के लिए भी प्रेरित करें। इसके लिए हमें प्रयास करने होंगे। बदलाव धीरे-धीरे होता है। चिकित्सकों का कर्तव्य है कि वे मरीज को अच्छी चिकित्सा सुविधा दें। उन्होंने कहा कि जब प्रतिष्ठित बड़ी हस्तियां, समाज सेवी संस्थायें, बड़े अधिकारी आदि रक्तदान करते हैं तो सन्देश दूर-दूर तक जाता है। लोग प्रेरित भी होते हैं। इसलिये इस सच्ची सेवा एवं महादान के लिए हमें आगे आना चाहिए तथा अधिक से अधिक कैम्प लगाकर इस महादान के प्रति जागरूकता पैदा करनी चाहिये।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी का एक प्रतिशत लोग भी अगर रक्तदान करें तो प्रदेश में रक्त की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। लेकिन कुछ भ्रांतियों के कारण व जागरूकता के अभाव में लोग रक्तदान करने से बचते हैं। इसलिये रक्तदान के प्रति जागरूकता अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में देश में किसी की मृत्यु रक्त की कमी से न हो। इसके लिये स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के साथ-साथ हमें इस कार्य को निःस्वार्थ भाव से करना होगा।
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राज्यपाल ने केजीएमयू के ट्रांसफ्यूज मेडिसिन विभाग द्वारा कोरोना काल के दौरान रक्तदान और प्लाज्मा दान से मरीजों की जान बचाने की सराहना की और कहा कि ये गर्व की बात है कि ये विभाग देश का सबसे बड़ा रक्त बैंक है। किसी की जिन्दगी बचाने के लिये किया गया ये दान सबसे महान दान है। इस अवसर पर राज्यपाल ने रक्तदान शिविरों का आयोजन करने वाली संस्थाओं को सम्मानित किया और एक स्मारिका का विमोचन भी किया।
केजीएमयू के कुलपति डॉ. विपिन पुरी ने बताया कि रक्तदान दिवस का शुभारम्भ एक अक्टूबर, 1975 को हुआ था। रक्तदान करना दिल की सेहत को सुधार सकता है और दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है। डॉ. पुरी ने बताया कि रक्तदान करने के बाद लगभग 10 मिनट आराम से लेटे रहना जरूरी होता है। रक्तदान 18 से 60 वर्ष तक की उम्र का स्वस्थ व्यक्ति कर सकता है और इससे किसी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं आती है।
कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, विधि एवं न्याय मंत्री डॉ. ब्रजेश पाठक, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा, आलोक कुमार सहित सम्मानित होने वाले विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।