केरल। शिक्षण संस्थानों में हिजाब (Hijab) पर प्रतिबंध और इसके विरोध के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Governor Arif Mohammad) ने स्वागत किया है। हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने साफ किया कि इस्लाम में हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक अभ्यास नहीं है। स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएं यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते।
राज्यपाल खान ने इस फैसले को लेकर कहा कि मैं यह मानता हूं कि युवा मुस्लिम महिलाओं में देश के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और योगदान देने की क्षमता है, इसके साथ ही उनमें अपने परिवारों की देखभाल करने की भी क्षमता है।
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आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मैं प्रार्थना करता हूं कि युवा महिलाओं और खास कर मुस्लिम महिलाओं को घर की चार दीवारों के अंदर धकेलने के लिए किए जा रहे ये प्रयास असफल हों। उन्होंने आगे कहा कि मैं युवा मुस्लिम महिलाओं को शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह अच्छे काम करना जारी रखेंगी।
हिजाब विवाद की शुरुआत के समय खान ने कहा था कि इसे पहनना इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। आरिफ मोहम्मद खान ने भले की इस फैसले की तारीफ की हो लेकिन, मुस्लिम लीग और केरल मुस्लिम जमात के नेताओं ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। मुस्लिम लीग के राज्य महासचिव पीएमए सलाम ने कहा कि इस आदेश ने उन लोगों को दुख पहुंचाया है जो कानून में भरोसा करते हैं।
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केरल मुस्लिम जमात के जमासचिव सैयद इब्राहीम खलील अर बुखारी ने भी हाईकोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले की फिर से परीक्षण किए जाने की जरूरत है या इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि हिजाब पहनना इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।