शांतिकुंज में नारी सशक्तीकरण पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर अपने वीडियो संदेश में देवभूमि की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि गायत्री परिवार नारियों को सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पुरुषों की सहयोगात्मक प्रवृत्ति से ही महिलाएं आगे बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए। राज्यपाल मौर्य ने सती अनुसूया को अपना आदर्श बताया।
राज्यपाल ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कठिन परिस्थितियों में घर परिवार में महिलाओं के योगदान को उल्लेखनीय बताया। संगोष्ठी में संस्था की अधिष्ठात्री शैल दीदी ने कहा कि शांतिकुंज की नारी जागरण अभियान की अलग विशेषता है। यह आंदोलन नारी का सर्वांगीण विकास कर उसके गौरवमयी स्वरूप का बोध कराना, नारी के मौलिक गुणों का विकास करना एवं उसके खोए हुए वर्चस्व को पुनर्स्थापित करने का है।
उन्होंने कहा कि सुशिक्षित, स्वावलंबी और प्रगतिशील नारी सुसंस्कृत परिवार की धूरी है। नारी को उसकी गरिमामय स्वरूप को विकसित और प्रतिष्ठित होने का जो अभियान शांतिकुंज की ओर से चलाया जा रहा है, उसमें समाज के सभी वर्ग का सहयोग अपेक्षित है।
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शैफाली पण्ड्या ने कहा कि प्रशिक्षण, संगोष्ठी अपने अंदर छुपी प्रतिभा को जाग्रत करने एवं आंतरिक ऊर्जा को सुनियोजित करने की विधा का नाम है। इस दौरान उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यमों से सैद्धांतिक व व्यावहारिक जानकारियां दीं। महिला मण्डल की वरिष्ठ सदस्य मुक्ति शर्मा ने बताया कि शांतिकुंज द्वारा संचालित कार्यक्रमों में नारी जागरण प्रमुख आन्दोलनों में से एक है।
शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष के अंतर्गत इस आंदोलन को गति दी जा रही है। म.प्र., गुजरात, बिहार, राजस्थान, दिल्ली आदि राज्यों सहित कई देशों की अग्रणी बहिनों ने प्रतिभाग करते हुए नारी सशक्तीकरण की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित हुए।