नई दिल्ली| बॉलीवुड का नाम सुनते ही सबसे पहले क्या आता है आपके मन में…चमकदार कपड़े, गाने और अनगिनत भाव। सहज इंसानी भावों को अभिव्यक्ति देने में और बहुत हद तक हमारी जिंदगियों को बनाने में बॉलीवुड की भूमिका अहम रही है। पर क्या आप जानते हैं कि हमेशा से बॉलीवुड ऐसा नहीं था जैसा आज है। बॉलीवुड का विस्तार भी एक प्रक्रिया की तरह हुआ है जिसमें बहुत से लोगों का योगदान है। इसी श्रृंखला में आज हम आपको बताएंगे ‘ग्रैंड फादर ऑफ बॉलीवुड यानी पृथ्वीराज कपूर’ के बारे में।
शुरूआती जीवन
पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर, 1906 को समुंद्री (अब पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता पुलिस विभाग में थे और जब ये बहुत छोटे थे इनकी माता का देहांत हो गया था।
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वे हमेशा से एक्टर बनना चाहते थे इसलिए 1928 में बॉम्बे (मुंबई) आ गए। दो सालों बाद उन्होंने मूक फिल्म ‘सिनेमा गर्ल (1930)’ से अपने करियर की शुरूआत की। साथ ही वे भारत का पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा (1931’) का भी हिस्सा थे। उनके अनगिनत फिल्म किरदारों में सबसे विशेष है साल 1960 में बनी ‘मुगले आज़म’, में उनका निभाया अकबर का किरदार।
कपूर साहब का पहला इश्क हमेशा से थिएटर ही रहा था। 38 साल की उम्र में पर्याप्त धन एकत्रित करने के बाद उन्होंने पृथ्वी थिएटर की नींव डाली। इसकी सबसे खास बात यह थी कि ये ग्रुप देशभर में जा जाकर नाटक करता था। सबसे महत्वपूर्ण थे इसके विषय जो कि आम जन के मुद्दों से सरोकार रखते थे।
1944 में पृथ्वी थिएटर ने अपना पहला नाटक किया ‘शकुंतला’। कपूर साहब इन नाटकों में अभिनेता तो थे ही साथ ही साथ वे इनके निर्देशक भी थे।
सन 1947 में भारत पाकिस्तान का विभाजन होने के दो साल पहले ही उन्होंने ‘दीवार (1945)’ नाम के एक नाटक में विभाजन की भयावहता दिखाने की कोशिश की थी।