उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी काउंसिल की बैठक हो रही है। कोरोना काल के कारण लंबे वक्त के बाद ये बैठक इन-पर्सन हो रही है। लॉकडाउन के साये से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था के बीच आम आदमी की नज़र इसपर टिकी है, क्योंकि हर बार की तरह चर्चा थी कि पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है। जीएसटी के दायरे में आने से लोगों को सस्ता पेट्रोल-डीजल मिल सकता था।
बताया जा रहा है कि बैठक में जैसे ही पेट्रोल-डीजल को GST में शामिल करने का प्रस्ताव रखा कई राज्य इसके विरोध में खड़े हो गए। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल समेत ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे से बाहर ही रखने को कहा है। ऐसे में ये प्रस्ताव खारिज हो सकता है।
अगर पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में आता है तो पेट्रोल 28 रुपए और डीजल 25 रुपए तक सस्ता हो जाएगा। अभी देश में कई जगहों पर पेट्रोल 110 और डीजल 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है। लेकिन ऐसा होने पर राज्यों के राजस्व में घाटा होगा है। यही कारण है कि कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वित्त मंत्री से मिलने पहुंच गए हैं।
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GST काउंसिल की बैठक में 48 से ज्यादा वस्तुओं पर टैक्स दरों की समीक्षा की जा जा रही है। इसमें 11 कोविड दवाओं पर टैक्स छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का भी फैसला हो सकता है।
बैठक में 7 राज्यों के उप मुख्यमंत्री शामिल हुए हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश के चौना मेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री राज किशोर प्रसाद, दिल्ली के मनीष सिसोदिया, गुजरात के नितिन पटेल, हरियाणा के दुष्यंत चौटाला, मणिपुर के युमनाम जोए कुमार सिंह और त्रिपुरा के जिष्णु देव वर्मा शामिल हैं। इसके अलावा कई राज्यों के वित्त या भी मुख्यमंत्री की ओर से नामित मंत्री भी शामिल हुए हैं।
सरकार ने ‘एक देश -एक दाम’ के तहत पेट्रोल-डीजल, नेचुरल गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को GST के दायरे में लाने पर विचार किया था। इसी को लेकर GST काउंसिल की बैठक में चर्चा चल रही है। हालांकि अभी तक मिली जानकारी के अनुसार ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोलियम पदार्थों को GST के दायरे में शामिल करने का विरोध किया है।