नई दिल्ली| आज जीएसटी काउंसिल की बैठक होनी है जिसमें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के माल और सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे पर चर्चा होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कह चुकी हैं कि जीएसटी और कोरोना महामारी की वजह से राज्यों के टैक्स कलेक्शन में जो कमी आई है, उसकी भरपाई की जाएगी।
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राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (केन्द्र शासित प्रदेशों) को चालू वित्त वर्ष में करीब 3.12 लाख करोड़ रुपये के माल और सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे की आवश्यकता हो सकती है। कर राजस्व में भारी गिरावट के कारण 2019-20 में इसने 89% की छलांग लगाई है। कोरोना वायरस महामारी के कारणा 68 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन व प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
जीएसटी कानून में यह तय किया गया था कि इसे लागू करने के बाद पहले पांच साल में राज्यों को राजस्व का जो भी नुकसान होगा, उसकी केंद्र सरकार भरपाई करेगी। आधार वर्ष 2015-16 को मानते हुए यह तय किया गया कि राज्यों के इस प्रोटेक्टेड रेवेन्यू में हर साल 14 फीसदी की बढ़त को मानते हुए गणना की जाएगी।
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27 जुलाई को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 2019-20 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिए गए मुआवजे की कुल राशि 1,65,302 करोड़ रुपये थी, जबकि उस वर्ष में उपकर की कुल राशि 95,444 करोड़ रुपये थी। कम राजस्व संग्रह मुख्य रूप से आर्थिक विकास दर के कारण था। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 2019-20 में धीमा हो गया था, जो 11 वर्षों में सबसे कम है।