हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिन बहुत पवित्र और शुभ माने गए हैं। साल में चार नवरात्रि होती है। इसमें दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) होती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं के पूजन का विधान है। इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं। गुप्त नवरात्रि पर भी कलश की स्थापना की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि पर कलश स्थापना कैसे की जाती है। इसका शुभ मुहूर्त क्या है।
कब है माघ माघ गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) ?
पंचांग के अनुसार, इस साल माघ गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) की शुरुआत 30 जनवरी को हो रही है। 7 फरवरी को इसका समापन होगा। 30 जनवरी को कलश स्थापित किया जाएगा। 30 जनवरी को गुप्त नवरात्रि का कलश स्थापित करने का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा। ये मुहूर्त सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भक्त कुल 1 घंटे 21 मिनट में कलश स्थापना कर सकते हैं। वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में कलश स्थापित करने के लिए भक्तों को 43 मिनट का समय मिलेगा।
कैसे करें कलश स्थापना?
– मिट्टी के कलश की स्थापना गुप्त नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में की जाती है।
– सबसे पहले कलश में थोड़ी सी मिट्टी और जौ डालनी चाहिए।
– फिर एक परत मिट्टी बिछाकर दोबारा जौ डालनी चाहिए।
– इसके बाद फिर से मिट्टी की परत बिछानी चाहिए
– मिट्टी की परत पर जल छिड़कना चाहिए।
– ऊपर तक कलश को मिट्टी से भर देना चाहिए।
– फिर कलश की स्थापना करके पूजन करना चाहिए।
– जहां कलश स्थापित करना हो वहां एक पाट रखकर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। उस पर कलश स्थापित करना चाहिए।
– कलश पर रोली या चंदन स्वास्तिक बनवाना चाहिए।
– कलश के गले में मौली अवश्य बांधनी चाहिए।
माघ गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) पूजा विधि
माघ गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर मंदिर की सफाई करनी चाहिए। चौकी पर माता की प्रतिमा या तस्वीर रखनी चाहिए। कलश स्थापना मुहूर्त में करनी चाहिए। देसी घी का दिया जलाना चाहिए। माता को लाल फूल चढ़ाने चाहिए। लाल या पिला सिंदूर भी चढ़ाना चाहिए। पंचामृत, नारियल, चुनरी, फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए। सबसे आखिर में मां की आरती करनी चाहिए।