भारतीय संस्कृति में धर्म की प्रधानता युगों-युगों से प्रसिद्ध है. दैनिक उपासना में कहा गया है- ‘कलौ चण्ड विनायकौ’ अर्थात कलयुग में गणेशजी व दुर्गाजी की उपासना शीघ्र फलदायी है. क्योंकि गणेशजी विघ्न दूर कर कार्य को पूरा करवाते हैं, वहीं दुर्गाजी शक्ति प्रदान करती हैं जिससे उत्साह, कामना व लक्ष्य की प्राप्ति होती है.
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर विनोद बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार मां दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्रि साल में चार बार आती है. जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि (gupt navratri) होती है. इसमें से दूसरी गुप्त नवरात्रि आसाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से मनाई जाती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष गुप्त नवरात्रि (gupt navratri) 30 जून 2022, गुरुवार से 9 जुलाई 2022, शनिवार तक मनाई जाएगी. पारण 9 जुलाई, शनिवार को दशमी के दिन होगा.
इस वर्ष माँ शक्ति स्वरूपा डोला(झूला) पर सवार होकर आएंगी और चरणायुधा पैदल जाएंगी. इस प्रकार उनका आगमन एवं गमन दोनों ही अशुभ सूचक हैं. पौराणिक काल से ही गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना की जाती है ताकि जीवन तनाव मुक्त रहे. माना जाता है कि जीवन में अगर कोई समस्या है तो उससे निजात पाने के लिए माँ शक्ति के खास मंत्रों के जप से उससे मुक्ति पाई जा सकती है.
गुप्त नवरात्रि (gupt navratri) शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना मुहूर्त : सुबह 05 बजकर 14 मिनट से 11 बजकर 33 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त : पूर्वाह्न 11 बजकर 25 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक