हिंदू धर्म शास्त्रों में नवरात्रि के दिन बहुत विशेष और महत्वपूर्ण माने गए हैं। साल में चार बार नवरात्रि पड़ती है। इसमें दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri ) शामिल है। हर नवरात्रि का अपना अलग महत्व होता है। माघ और आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि पड़ती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि पर 10 महाविद्याओं के पूजन किया जाता है।
ये हैं 10 महाविद्याएं
इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं। जो तंत्र मंत्र करते हैं उनके लिए गुप्त नवरात्रि बहुत विशेष होती है। गुप्त नवरात्रि पर भी प्रत्यक्ष नवरात्रि की तरह कलश स्थापना होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल गुप्त नवरात्रि कब से शुरू होगी। साथ ही कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
कब शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri )
इस साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 30 जनवरी को शाम 4 बजकर 10 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 30 जनवरी को होगी। ये सात फरवरी को समाप्त होगी।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri ) पर कलश स्थापना की बात करें तो 30 जनवरी को इसका शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा। ये मुहूर्त सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर खत्म हो जाएगा। ऐसे में भक्त कुल 1 घंटे 21 मिनट में कलश स्थापना कर सकते हैं। वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा। ये 12 बजकर 56 मिनट पर खत्म हो जाएगा। इस मुहूर्त में भक्त 43 मिनट तक कलश स्थापित कर सकते हैं।
पूजा विधि
– गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri ) पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
– इसके बाद पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए
– फिर देवी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए।
– कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करना बहुत ही आवश्यक है।
– पूजा के समय देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। गुड़हल के फूलों की माला मां को अर्पित करनी चाहिए।
– मां को सिदूर अर्पित करना चाहिए। पंचामृत, नारियल चुनरी, फल मिठाई आदि का भोग लगाना चाहिए।
– आरती करके मां की पूजा का समापन करना चाहिए।
गुफ्त नवरात्रि में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।