हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही खास माना जाता है। नवरात्रि का व्रत साल में चार बार रखा जाता है, जिसमें से दो बार प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) आती हैं। जहां प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से पूजा की जाती है। यही वजह है कि माघ में आने वाले नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
माघ के गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) घटस्थापना शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) की पूजा की शुरुआत घट स्थापना के साथ की जाती है। पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त की शुरुआत 30 जनवरी सुबह 9 बजकर 25 मिनट से लेकर 10 बजकर 46 मिनट तक है। ऐसे में भक्तों को घटस्थापना के लिए कुल 1 घंटे 21 मिनट का समय मिलेगा। इसके अलावा घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। यहां भक्तों को 43 मिनट का समय मिलेगा।
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के दिन घट स्थापना और पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए। फिर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का खास ध्यान रखें। पूजा के समय देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। गुड़हल के फूलों की माला मां को अर्पित करनी चाहिए। मां को सिदूर अर्पित करना चाहिए। पंचामृत, नारियल चुनरी, फल मिठाई आदि का भोग लगाना चाहिए। आरती करके मां की पूजा का समापन करना चाहिए। गुफ्त नवरात्रि में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri) का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्या प्रकट हुईं थी। माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति के 32 अलग-अलग नामों का जाप, दुर्गा सप्तशती , देवी महात्म्य और श्रीमद्-देवी भागवत जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से सभी परेशानियां दूर होती है और जीवन में सुख शांति आती है।
मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गई साधना जन्मकुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाली होती है।