Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

गुप्त नवरात्रि: आज करें मां छिन्नमस्ता देवी की पूजा, होंगी सारी चिंता दूर

Gupt Navratri

Maa Chinnamasta Devi

आज गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का पांचवां दिन है। आज भक्त मां छिन्नमस्ता या ‘छिन्नमस्तिका’ की पूजा अर्चना करेंगे। मां छिन्नमस्ता को चिंतापूरनी भी कहा जाता है। मां छिन्नमस्ता को 10 महाविद्याओं में 5वां स्थान प्राप्त है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां छिन्नमस्ता मनुष्य की हर चिंता को दूर कर उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। मां छिन्नमस्ता का स्वरुप थोड़ा हटकर है। छिन्नमस्ता देवी के हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है तथा दूसरे हाथ में कटार धारण की है। इस महाविद्या का संबंध महाप्रलय से है. देवी छिन्नमस्ता को को भगवती त्रिपुरसुंदरी का ही रौद्र रूप माना गया है।

पूजा के बाद कथा का पाठ करना चाहिए। पढ़ें देवी छिन्नमस्ता की कथा …

देवी छिन्नमस्ता की कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में छोटा नागपुर में रज नामक एक राजा राज करते थे। राजा की पत्नी का नाम रूपमा था। इन्हीं दोनों के नाम से इस स्थान का नाम रजरूपमा पड़ा, जो बाद में रजरप्पा हो गया।

एक कथा के अनुसार एक बार पूर्णिमा की रात में शिकार की खोज में राजा दामोदर और भैरवी नदी के संगम स्थल पर पहुंचे। रात्रि विश्राम के दौरान राजा ने स्वप्न में लाल वस्त्र धारण किए तेज मुख मंडल वाली एक कन्या देखी।

उसने राजा से कहा- हे राजन, इस आयु में संतान न होने से तेरा जीवन सूना लग रहा है। मेरी आज्ञा मानोगे तो रानी की गोद भर जाएगी।

राजा की आंखें खुलीं तो वे इधर-उधर भटकने लगे। इस बीच उनकी आंखें स्वप्न में दिखी कन्या से जा मिलीं। वह कन्या जल के भीतर से राजा के सामने प्रकट हुई। उसका रूप अलौकिक था। यह देख राजा भयभीत हो उठे।

राजा को देखकर देख वह कन्या कहने लगी- हे राजन, मैं छिन्नमस्तिके देवी हूं। कलियुग के मनुष्य मुझे नहीं जान सके हैं जबकि मैं इस वन में प्राचीनकाल से गुप्त रूप से निवास कर रही हूं। मैं तुम्हें वरदान देती हूं कि आज से ठीक नौवें महीने तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी।

देवी बोली- हे राजन, मिलन स्थल के समीप तुम्हें मेरा एक मंदिर दिखाई देगा। इस मंदिर के अंदर शिलाखंड पर मेरी प्रतिमा अंकित दिखेगी। तुम सुबह मेरी पूजा करो। ऐसा कहकर छिन्नमस्तिके अंतर्ध्यान हो गईं. इसके बाद से ही यह पवित्र तीर्थ रजरप्पा के रूप में विख्यात हो गया।

Exit mobile version