राज्य में सबका साथ सबका विकास के संकल्प और भाव के साथ ही प्रदेश सरकार धार्मिक सद्भाव की ओर भी लगातार कदम बढ़ा रही है। इसी के तहत सोमवार को यहां पांच कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर साहिबजादा दिवस मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री आवास पर गुरबाणी भी गूंजेगी।
उत्तर प्रदेश साहिबजादा दिवस मनाने वाला पहला राज्य है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साहिबजादा दिवस मनाने का फैसला किया था। मुख्यमंत्री आवास पर होने वाले गुरबाणी कीर्तन में मुख्यमंत्री सहित सरकार के अन्य मंत्री एवं अन्य लोग शामिल होंगे।
यह सत्ता के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का स्पष्ट संदेश है कि अल्पसंख्यक सिख समुदाय की आस्था के पर्व और दिवस का आयोजन मुख्यमंत्री आवास में हो रहा है। यह दिवस गुरु गोविंद सिंह जी के चार पुत्रों- अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत की याद में मनाया जाता है। साहिबजादा दिवस की तरह ही इससे पहले गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर मुख्यमंत्री आवास पर गुरुवाणी कीर्तन एवं लंगर का आयोजन किया गया था। तब सिख समुदाय के 200 से 250 लोगों ने लंगर एवं प्रसाद ग्रहण किया था।
राज्य सरकार दिवंगत विंग कमांडर हर्षित के परिवार को देगी हर सम्भव मदद : योगी
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की पहल पर बीते वर्ष भी मुख्यमंत्री आवास पर साहिबजादा दिवस का आयोजन हुआ था। पूर्व की सरकारों के समय मुख्यमंत्री आवास पर इस तरह के आयोजन नहीं होते थे, तब सिर्फ इफ्तार पार्टी होती थी। मुख्यमंत्री योगी ने सिख समुदाय के इस आयोजन की शुरुआत कर सिख समुदाय को सम्मान दिया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जय शंकर गुरुद्वारा गोरखपुर को एक करोड़ रुपये, गुरुद्वारा मोहद्दीपुर को एक करोड़ 94 लाख, गुरुद्वारा चरण पादुका साहिब निजामाबाद (आजमगढ़) को 49 लाख 22 हजार रुपये की धनराशि दी है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक आयोग में सिख समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया। नगर निगमों में सात सिख पार्षद नामित किए। इसके अतिरिक्त सरकार ने लखनऊ में श्री गोविंद सिंह द्वार, गुरुतेग बहादुर, गुरु नानक देव तिराहा का निर्माण कराया। इसी प्रकार अनेक जिलों में सिख समाज को धरोहरें दी।
इसलिए मनाते हैं साहिबजादा दिवस
26 दिसंबर 1704 में गुरु गोविंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद के नवाब ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया। साहिबजादों की शहादत धर्म को बचाने के लिए की गई। फतेहगढ़ साहिब में गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों को दीवार में सिर्फ इसलिए चुनवा दिया गया कि उन्होंने अपना धर्म छोड़कर इस्लाम नहीं अपनाया। सरहिंद पर वो पुण्य भूमि थी जहां कण-कण से आवाज़ आती थी कि “सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं”। गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्रों- अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत की याद में यह दिवस मनाया जाता है।