नई दिल्ली। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) की वहां के जिला कोर्ट में ही सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस केस की सुनवाई करते हुए इसे वाराणसी जिला कोर्ट को भेज दिया है। अब मुकदमे से जुड़े सभी मामले जिला जज ही देखेंगे।
आठ हफ्ते तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को 8 हफ्ते का अंतरिम आदेश जारी किया था कोर्ट ने कहा कि वुजू की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही शिवलिंग का एरिया सील रहेगा।
मुस्लिम पक्ष की एक दलील को सुनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि किसी स्थान के धार्मिक चरित्र का पता लगाना वर्जित नहीं है। दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने पूछा था कि अहमदी ने कहा कि पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर स्पष्ट रूप से रोक है। आयोग का गठन क्यों किया गया था? यह देखना था कि वहां क्या था? इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने ये टिप्पणी की।
हम ट्रायल कोर्ट को चलने से नहीं रोक सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ट्रायल कोर्ट को चलने से नहीं रोक सकते। शांति बनाए रखने के लिए संविधान में एक ढांचा बनाया गया है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत को निर्देश देने के बजाय हमें संतुलन बनाना चाहिए। वहीं, अहमदी ने उपासना स्थल कानून पर चर्चा शुरू की तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये आपका दूसरा नजरिया है। हम आदेश सात के नियम 11 की बात पर चर्चा कर रहे हैं।
निचली अदालत को 8 हफ्ते का समय
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को 8 हफ्तों का समय दिया है। तब तक सुप्रीम कोर्ट का 17 मई का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने कहा है कि जब तक जिला जज इस मामले का निपटारा नहीं करते हैं तब तक जिला जज वजू के लिए उचित व्यवस्था करें। साथ ही शिवलिंग वाले क्षेत्र की सुरक्षा करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग की सुरक्षा और नमाज में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिए 3 सुझाव
सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने तीन सुझाव दिए। पीठ ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी सुनवाई डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा ही होनी चाहिए और इसे परिपक्व हाथों द्वारा हैंडल किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि हमारे पास तीन सुझाव हैं। पहला, ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित आवेदन पर हम निचली अदालत से निपटाने के लिए कह सकते हैं। हम केस गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करेंगे। दूसरा, हम अंतरिम आदेश को जारी रख सकते हैं। तीसरे, यह मामला बेहत जटिल व संवेदनशील है, ऐसे में हमें लगता है कि इसकी सुनवाई ट्रायल जज द्वारा होनी चाहिए।
मुस्लिम पक्षकारों ने किया विरोध
सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी के सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित सभी आदेशों से समाज में गलत फायदा उठाया जा सकता है। मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने सुनवाई का विरोध करते हुए कहा कि इसे सिर्फ एक मामले के नजरिए से न देखें। इसका असर अन्य मस्जिदों पर भी पड़ेगा। यह शरारती तत्वों की हरकत है जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना चाहते हैं।
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मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा कि बीते 500 साल से उस स्थान का जैसे उपयोग किया जा रहा था, उसे वैसे ही बरकरार रखा जाए। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि हम सबसे पहले आदेश 7 नियम 11 पर फैसला लेने के लिए कहेंगे। जब तक यह तय नहीं हो जाता, तब तक हमारा अंतरिम आदेश संतुलित तरीके से लागू रहेगा। जस्टिस डीवी चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की संयुक्त पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।